बावन बन्द पड़ा सरकारी नलकूप,,कैसे हो गन्ने की सिचाई,,

in #hardoi2 years ago

सिचाई के लिए निजी संसाधनों पर निर्भर किसान,,

बढ़ रही फसलों की लागत,,नही मिल रहा शाशन की योजनाओं का लाभ।

एक ओर जहाँ भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में किसानों को फसलों की सिचाई के लिए उपयोग की जाने बाली बिजली को निर्धारित यूनिट तक फ्री किये जाने की प्रक्रिया को अमली जामा पहनाने की तैयारी शरू होने जा रही है वहीं दूसरी ओर सिचाई के लिए बने सरकारी नलकूप के बन्द होने से किसानों को फसलों की सिचाई के लिए निजी संसाधनों पर ही निर्भर रहना पड़ रहा है जिससे किसानों को घोर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है और योजनाओं का लाभ धरातल पर नही मिल पा रहा है।IMG-20220327-WA0006.jpg
बावन ब्लॉक के तेरिया गाँव में जूनियर हाईस्कूल के पीछे बने सरकारी नलकूप सँख्या 202 के करीब एक वर्ष से बंद पड़े होने से क्षेत्रीय किसानों को फसलों की सिचाई के लिए बड़ी मुसीबतें झेलनी पड़ रही हैं।इस नलकूप से क्षेत्रान्तर्गत करीब 50 एकड़ से अधिक किसानों की कृषि योग्य भूमि में फसलों की सिचाई होती है,लेकिन नालियाँ टूटी होने के कारण केवल 30 एकड़ भूमि तक ही पानी पहुँच पाता है।नलकूप क्षेत्र में अधिकांश किसान गन्ने की फसल करते हैं जिसका फसली सीजन आ चुका है और गन्ने की फसल में पानी भी ज्यादा लगता है।बैयर, पेड़ी,आदि गन्ने की फसलों में पानी लगने का सिलसिला शुरू हो चुका है लेकिन नलकूप पिछले करीब एक वर्ष से बन्द पड़ा है और नालियाँ टूटी हैं जिनकी वर्षों से मरम्मत नही कराई गई है। जिम्मेदार नलकूप ऑपरेटर बाबू सिंह गाँव आते ही नही।उनकी जिम्मेदारी कागजों पर ही पूरी हो रही है।
नलकूप की हालत बहुत जर्जर स्थिति में है।नलकूप का चेंज ओवर टूटा है और बिजली के तार खुले पड़े हैं जिससे अनहोनी और जान माल का खतरा हर समय बना रहता है।बन्द पड़े नलकूप को अराजकतत्वों ने ताश पत्ते खेलने का अड्डा बना दिया है और नलकूप के अंदर ताश के पत्ते बिखरे पड़े हैं।नलकूप के चालू ना होने से किसानों को सिंचाई के लिए बहुत ही परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। IMG-20220327-WA0008.jpg
किसान संजू मिश्रा,पंकज बाजपेयी,रामवीर कुशवाहा,भोला राठौर,मनीराम पाल,सुरेश पाल,दिनेश सिंह,अमरपाल,शेर अली,रमेश पाल,ओमप्रकाश राठौर,राजेश कुशवाहा,नारायण राठौर,आदि ने कई बार नलकूप ऑपरेटर और विभागीय अधिकारियों से बन्द पड़े नलकूप की समस्या बताई और समाधान कराने की माँग की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गयी और लगभग 1वर्ष से नलकूप बंद पड़ा है।नालियों की कोई मरम्मत नहीं कराई गई जो कि टूटी पड़ीं हैं।सरकारी नलकूप से खेतों में फसलों की सिचाई के लिए पानी ना मिल पाने से किसान निजी संसाधनों के अंतर्गत बोरिंग से सिचाई करने को मजबूर हैं जिससे उनकी फसली लागत बहुत ज्यादा बढ़ जाती है और शाशन की योजनाओं का लाभ नही मिल पा रहा है।इस सम्बंध में जब नलकूप ऑपरेटर से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका फोन स्वीच ऑफ था।