सामाजिक समरसता का प्रतीक है रक्षाबंधन : आरएसएस
हरदोई : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की नगर कार्यकारिणी की ओर से गांधी भवन में मंगलवार को रक्षाबंधन पर्व का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के क्षेत्र संपर्क प्रमुख सुरेश ने कहा कि सर्व प्रथम परम पवित्र भगवा ध्वज को रक्षासूत्र बांधकर देश रक्षा का संकल्प लिया।उन्होंने कहा कि रक्षाबंधन केवल भाई बहनों का ही त्योहार नहीं है। कुछ लोग इसे केवल भाई बहन के त्योहार के रूप मेें मानता है। उन्होंने कहा कि वैसे तो भारत वर्ष का प्रत्येक दिन उत्सव है। कण-कण देवता है। लेकिन आरएसएस इसमें प्रमुख छह उत्सव मनाता है। इसमें रक्षाबंधन भी शामिल है। कहा कि भारत की सनातनी परंपरा है। इसके पीछे संपूर्ण विश्व के कल्याण की भावना रहती है। कहा कि यह राष्ट्र की रक्षा व सामाजिक समरसता का पर्व है। उन्होंने राजा बलि की कथा सुनाते हुए कहा कि माता लक्ष्मी ने बलि को रक्षा सूत्र बांध कर अपने पति की मुक्ति मांगी थी। देवासुर संग्राम में देवराज इंद्र को देवमाता शचि ने रक्षा सूत्र बांध कर उनकी विजयी की कामना की थी। द्रोपदी ने भगवान कृष्ण को साड़ी का एक टुकडा बांधा था उसके प्रतिफल में श्री कृष्ण ने अनकों साडियों के साथ देकर उनकी रक्षा की थी। भगवाध्वज की महत्ता बताते हुए उन्होंने कहा कि यह भगवान का ध्वज है। हर युग में हर देश ,काल में यही ध्वज रहा। भले ही इसका नाम कुछ भी रहा है। यह त्याग, तपस्या, संस्कृति का प्रतीक है। प्रकृति का महत्व बताते हुए कहा कि हम प्रकृति से दूर होते जा रहे है। इसलिए आज हमें दवाइयों के सहारे की आवश्यकता पड़ती है, जबकि पशु-पक्षी अभी भी प्रकृति की गोद में है। इसलिए वह बिना किसी की सहायता व दवाई के भी अपना जीवन निर्वाह करते हैं। उन्होंने पौधरोपण के साथ घर-घर तिरंगा ध्वज फहराने की अपील की। अंत में सभी ने एक दूसरे को रक्षासूत्र बांधकर एक दूसरे की रक्षा का संकल्प लिया। संचालन नगर व जिले के स्वयं सेवक काफी संख्या में मौजूद रहे।
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