हरदोई में बेपटरी हुए छोटे दुकानदारो ने मांगी इच्छा मृत्यु

in #hardoi2 years ago

हरदोई में बेपटरी हुए छोटे दुकानदारो ने मांगी इच्छा मृत्यु
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#हरदोई। जनपद में आदर्श पटरी दुकानदार यूनियन द्वारा राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की गई। यूनियन के अध्यक्ष हिमांशु गुप्ता ने बताया कि अधिकांश दुकानदार गरीबी रेखा के नीचे ठेला/रेहड़ी/फुटपाथ पर दुकान/खोखा आदि के माध्यम से विभिन्न रोजगारों में संलग्न होकर अपने -अपने परिवारों का जीवन यापन कर रहे है इन सभी प्रार्थियों में शायद ही कोई ऐसा हो जिसके परिवार में 7 से 8 सदस्य न पोषित हो रहे हो। कोई पान की दुकान का संचालन कर दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर रहा है तो कोई ठेला/रेहड़ी के माध्यम से अपने परिवार का भरण पोषण कर रहा है।
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इधर लगभग एक माह से पटरी दुकानदारो/ठेला/रेहड़ी/खोखा दुकानदारो पर प्रशासन द्वारा विभिन्न नियमों के आधार पर कार्यवाही कर जीना दूभर कर दिया है।कही आर्थिक दण्ड की पर्ची मिलती है तो कही सरेआम गालियां, तो कही सरेराह डंडों से पिटाई, समान फेक देना/अपमानित करना रोज का काम बन गया है जबकि समस्त छोटे दुकानदार प्रशासन/कर्मचारियों की प्रत्येक अनैतिक माँग को भी वर्षो से अपने परिवार के हित के लिए पूरा करते चले आ रहे है। 28 मई 2022 को जिला प्रशासन हरदोई द्वारा आहूत बैठक में साफ तौर से कह दिया गया कि हम किसी भी दशा में शहर के फुटपाथ/नाला/नाली पर रखे खोखो(लकड़ी/लोहे की छोटी दुकान) को लगने नही देंगे यदि 07 दिवस में दुकाने न हटी तो प्रशासन का बुलडोजर चलेगा और दुकाने जब्त कर ली जाएगी।

श्री गुप्ता ने बताया कि हम सबने प्रशासन को लिखित रूप में अपनी दुकान/रेहड़ी/खोखा के पास साफ सफाई रखेगे यदि गंदगी पाई जाए तो हम पर आर्थिक जुर्माना लगाया जाए, लेकिन हमें हटाया न जाये, लेकिन प्रशासन किसी भी कीमत पर हम सहित हमारे व्यापार को तहस नहस करने का मूड बना चुका है। हम नही जानते यह आदेश सरकार का है या प्रशासन का बस इतना जरूर जानते है कि यदि हमारी दुकाने बन्द हुई तो हमारा परिवार भुखमरी की कगार पर होगा जिसका अनुभव हम सब कोविड19 के दौरान कर चुके है उस समय लिए गए ऋण को हमसब अभी चुका नही पाए है तब तक प्रशासन के तुगलकी फरमान ने हमारी नींद /चैन सब छीन लिया है।

इस स्थिति में वर्षो से फुटपाथ पर व्यापार कर रहे पटरी/खोखा दुकानदारों के लिए जीविका का संकट आ खड़ा हुआ है।
हम इतने सशक्त नही है कि हम प्रशासन से लड़ सके, न ही इतने सशक्त है कि पक्की दुकान खरीद सके या किराए पर ले सके क्योंकि जितना पक्की दुकान का किराया है उतनी हमारी मासिक आमदनी है हमे तो दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। ऐसी स्थिति में हम सभी खोखा दुकानदार/पटरी दुकानदार/रेहड़ी दुकानदार का भविष्य अंधकारमय प्रतीत हो रहा है हम अपनी आंखों के सामने अपने बच्चों/परिवार को भूखे मरते नही देख सकते ऐसी स्थिति में हमारे पास केवल एक ही रास्ता अवशेष है वह है परिवार सहित इच्छा मृत्यु। क्योंकि प्रशासन एवं प्रशासनिक अधिकारियों के कोप का भाजन बनने से / बच्चो को भूखा मरते देख घुट घुट कर मरने से तो अच्छा है हम सब परिवार सहित मृत्यु को गले लगा लें।