नौनिहालों के विद्यालय में प्रवेश पर रोक के बाद प्रबंधन और अभिभावकों के बीच कहासुनी

in #hardoi2 years ago

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बच्चों की शिक्षा को लेकर गंभीर सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किया है,ताकि आर्थिक रूप से पिछडे बच्चों को भी निजी स्कूलों में दाखिला मिले और वह भी कान्वेंट स्कूलों में शिक्षा हासिल कर सकें,लेकिन निजी स्कूलों की मनमानी इन बच्चों के भविष्य पर भारी पड़ रही है,हरदोई में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूल में दाखिला पाने वाले आर्थिक रूप से पिछड़े 12 छात्र छात्राओं के फीस प्रतिपूर्ति ना होने पर विद्यालय प्रबंधन ने स्कूल आने पर रोक लगा दी,विद्यालय प्रबंधन का तर्क है कि सरकार ने बच्चों की फीस का पैसा उनके खाते में नहीं भेजा,जिसके चलते वह बच्चों को पढ़ाने में अक्षम है,कुछ छात्रों के विद्यालय पहुंचने के बाद अभिभावकों और स्कूल प्रबंधन के बीच कहासुनी हो गई,मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ,जिसके बाद विद्यालय प्रबंधन ने कुछ दिनों के लिए बच्चों के विद्यालय आने की अनुमति दी है,ऐसे में अभिभावक अपने बच्चों के भविष्य को लेकर सशंकित हैं तो वहीं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने इस पूरे मामले की जांच और कार्यवाही के आदेश दिए हैं।

दरअसल राइट टू एजुकेशन के अंतर्गत आर्थिक रूप से पिछड़े करीब 12 छात्र-छात्राएं हरदोई शहर के लिटिल एंजिल्स विद्यालय में मुफ्त शिक्षा हासिल कर रहे हैं,विद्यालय में दूसरी क्लास में पढ़ने वाली छात्रा अंबिका सेठ के पिता और चौथी क्लास में पढ़ने वाली मरियम की मां आज बेटी को लेने स्कूल पहुंचे तो स्कूल प्रबंधन ने उन्हें कल से बेटी को स्कूल में भेजने से मना कर दिया गया,अंबिका सेठ के पिता सचिन का कहना है कि विद्यालय प्रबंधन का तर्क है कि आर्थिक रूप से पिछड़े ईडब्ल्यूएस के अंतर्गत एडमिशन पाने वाले बच्चों की फीस और पठन-पाठन सामग्री की व्यवस्था सरकार करती है,लेकिन सरकार ने फीस प्रतिपूर्ति नहीं की है,लिहाजा वह बच्चों को पढ़ाने में अक्षम है,ऐसे में विद्यालय में बच्चों के प्रवेश पर रोक के बाद अभिभावक आक्रोशित हो गए,विद्यालय प्रबंधन और अभिभावकों के बीच कहासुनी हुई,मामले की सूचना पाकर इंस्पेक्टर कोतवाली शहर बृजेश कुमार मिश्रा मौके पर पहुंचे और पूरे मामले को शांत कराया,पुलिस के हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ और अब बच्चों को कुछ दिनों तक विद्यालय आने की इजाजत मिल गई है।

इस मामले में विद्यालय प्रबंधन का कहना है कि ईडब्ल्यूएस के अंतर्गत दाखिला लेने वाले छात्र छात्राओं की फीस और शिक्षण सामग्री की व्यवस्था सरकार करती है,लेकिन सरकार ने पिछले 5 वर्ष से कोई भुगतान नहीं किया है,सरकार द्वारा फीस प्रतिपूर्ति न किए जाने से निजी स्कूल एसोसिएशन ने निःशुल्क बच्चों के पढ़ाने पर असमर्थता जताई है,ऐसे में अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ाने की कहीं और व्यवस्था करें या फिर उनकी फीस भरें,यही वजह थी कि बच्चों को आने से रोका गया, स्कूलों की एसोसिएशन के अग्रिम निर्णय आने के बाद इस पर कोई फैसला लिया जाएगा,तब तक बच्चों के आने पर रोक लगाई गई है।

हालांकि पुलिस के हस्तक्षेप करने के बाद विद्यालय में बच्चों को प्रवेश की इजाजत मिल गई है, लेकिन बच्चों के अभिभावक उनके भविष्य को लेकर चिंतित हैं,अभिभावकों की चिंता लाजिमी भी है,आखिर अप्रैल से नए शैक्षिक सत्र की शुरुआत हो चुकी है और स्कूलों में एडमिशन भी हो चुके हैं,ऐसे में विद्यालय प्रबंधन ने अगर इन बच्चों के आने पर पुनः रोक लगाई तो इनकी पढ़ाई बाधित हो सकती है,अभिभावकों का कहना है कि इस पूरे मामले की शिकायत व प्रशासनिक अधिकारियों से करेंगे,वहीं इस मामले में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी वीरेंद्र प्रताप सिंह ने नगर शिक्षा अधिकारी से पूरे मामले की जांच कराकर कड़ी कार्रवाई के आदेश दिए हैं,ऐसे में अब देखने वाली बात यह होगी कि विद्यालय में बच्चों के प्रवेश पर रोक लगाने वाले प्रबंधन के खिलाफ क्या कार्यवाही होगी ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहे और उनकी पढ़ाई बाधित ना हो।