कथा व्यास ने बताया सत्संग का महत्व

in #hardoi2 years ago

पाली । नगर में चल रहे श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ में वुधवार को तीसरे दिन की कथा में महामृत्युंजय पीठाधीश्वर उज्जैन से आये कथा व्यास 1008 श्री प्रणवपुरी जी महाराज ने राम कथा के दौरान भक्तों को राजा प्रतापभानु का प्रसंग सुनाया।
उन्होंने बताया कैकय देश के सत्यकेतु राजा थे। उनके दो पुत्र प्रतापभानु व अरिमर्दन थे। सत्यकेतु ने बड़े पुत्र प्रतापभानु को राजा बनाकर खुद भगवान का भजन करने वन चले गए। दोनों भाइ बड़े परिकर्मी व उनमें बड़ा प्रेम था। जब प्रतापभानु राजा हुआ तो हर तरफ उसकी दुहाई फिर गई। वह वेद में बताई गई विधि के अनुसार उत्तम रीति से प्रजा का पालन करने लगा। उसके राज्य में पाप का कहीं लेश भी नही रह गया। बुद्धिमान मंत्री व बलवान व वीर भाई के साथ स्वयं राजा भी बड़ा प्रतापी व रणधीर था। जिसके चलते उसने सातों द्वीपों को जीत लिया था। सम्पूर्ण पृथ्वी मंडल का उस समय प्रतापभानु ही मात्र एक चक्रवर्ती राजा था। एक बार राजा विंध्याचल के जंगल में शिकार करने गए। शिकार करते करते जब उन्हें प्यास लगी तो वह पानी की तलाश में इधर उधर भटकने लगे। तभी उन्होंने एक आश्रम देखा वहां कपट से मुनि वेष बनाये एक राजा रहता था। जिसका राज्य प्रतापभानु ने छीन लिया था। प्रतापभानु को देख कर वह कपटी राजा को पहचान गया लेकिन प्यासा होने के कारण राजा उसे पहचान नही सके। सुंदर वेष देखकर राजा ने उसे महामुनि समझा। राजा को प्यासा देखकर उसने सरोवर दिखाया जिसमें राजा ने स्नान करके जल ग्रहण किया। कपटी की बातों से राजा उसके वश में हो गए। राजा ने कहा मेरा शरीर, वृद्धावस्था, मृत्यू से रहित हो जाये, मुझे युद्ध में कोई जीत न सके और पृथ्वी पर मेरा सौ कल्पतक एकछत्र अकष्टक राज्य हो। तपस्वी ने कहा हे राजन! ऐसा ही हो। तपस्वी ने राजा का विनाश करने की पूरी योजना बना ली थी। तपस्वी ने कहा रसोई में भोजन मैं बनाऊंगा आप ब्राम्हणों को आमंत्रित करो। कपटी मुनि ने माया से रसोई तैयार की और इतने व्यंजन बनाये जिन्हें कोई गिन न सका। ब्राह्मणों को जब राजा भोजन परोस रहे थे तभी आकाशवाणी हुई कि भोजन में मांस परोसा जा रहा है। आकाशवाणी सुनकर आवेश में आकर ब्राम्हणों ने राजा को श्राप दे दिया कि तुम्हारे वंश में कोई न बचे। ब्राह्मणों के श्राप से राजा का विनाश हो गया। उसी श्राप के कारण राजा प्रतापभानु रावण व उसका भाई कुम्हकर्ण हुए। कथा व्यास के मुखारविंद से कथा श्रवण करने सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचे।
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