हलषष्ठी व्रत - कल पुत्र के दीर्घायु की कामना करेंगी महिलाएं
- पूजन सामग्री खरीदने महिलाओं की लगी भीड़, अनाज का नहीं करतीं सेवन
मंडला. पुत्र के दीर्घायु की कामना को लेकर महिलाएं बुधवार को हलषष्टी का व्रत धारण करेंगी। यह व्रत हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को रखा जाता है। इसी दिन बलराम जयंती भी मनाई जाती है। देश के विभिन्न भागों में इस हलषष्ठी या बलराम जयंती को अलग-अलग नामों से मनाते हैं। इसे हल छठ, पीन्नी छठ या खमर छठ भी कहते हैं।
महिलाएं हलषष्ठी का व्रत संतान की लंबी आयु की प्राप्ति के लिए रखती हैं। इस दिन व्रत के दौरान वह कोई अनाज नहीं खाती हैं और महुआ की दातुन करती हैं। हलषष्ठी व्रत में हल से जुती हुई अनाज और सब्जियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता। इस व्रत में वही चीजें खाई जाती हैं जो तालाब में पैदा होती हैं। व्रत में तिन्नी का चावल, पसही के चांवल, गाय के किसी भी उत्पाद जैसे दूध, दही, गोबर आदि का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। हलषष्ठी व्रत में भैंस का दूध, दही और घी का उपयोग किया जाता है।
कांस के फूल के नीचे होगा पूजन :
पूजन में विशेष तौर पर कांस के फूल का उपयोग किया जाता है। जिसके नीचे शंकरजी की प्रतिमा रखकर पूजन किया जाता है। इसके बाद महिलाएं व्रत का परायण करती हैं।बाजारों में रही भीड़ :
पूजन सामग्री खरीदने के लिए बाजारों में भीड़ रही। मुूख्यालय के बाजार, तहसील क्षेत्र, बड़ चौराहा, उदय चौक के साथ ही उपनगरीय क्षेत्र महाराजपुर में सड़क किनारे पूजन सामग्री खरीदने वालों की काफी भीड़ देखी गई। पूजन में विशेष रूप से बांस से बने चुनकों का अर्पण किया जाता है। जिसेे लोग खरीदते दिखे।
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