गुजरात में 'दलितों और आदिवासियों' को पुलिस सुरक्षा की क्यों पड़ रही है ज़रूरत?
सूचना के अधिकार के तहत बीबीसी गुजराती को मिली जानकारी के अनुसार, बीते 11 सालों में गुजरात के विभिन्न ज़िलों में 2,789 ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें किसी दलित या आदिवासी परिवार को पुलिस सुरक्षा की ज़रूरत पड़ी है.
इसका मतलब ये है कि गुजरात में हर दूसरे दिन एससी या एसटी परिवारों को पुलिस सुरक्षा की ज़रूरत पड़ती है.
इन वर्षों के दौरान राज्य सरकार 'सुरक्षित गुजरात' की एक छवि बनाने में लगी रही और ये भी दावा करती रही कि राज्य में क़ानून-व्यवस्था की स्थिति कहीं अच्छी है.
जानकारों की नज़रों में ये आंकड़े वास्तविकता से कहीं कम हैं.
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