उत्तर प्रदेश में नाबालिग़ नहीं चला सकेंगे दो /चार पहिया वाहन, नियम कड़ाई से होगा लागू...

in #government8 months ago
  • नाबालिग द्वारा वाहन दुर्घटना की स्थिति में वाहन स्वामी होंगे जेल में...
  • उत्तर प्रदेश में दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों में 40 प्रतिशत किशोर /किशोरियों की...

  • शैक्षणिक संस्थाओं में चलाए जाएंगे जागरूकता अभियान

  • नियम का कड़ाई से अनुपालन कराने के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक के साथ आरटीओ /सहायक आरटीओ को दी गई जिम्मेदारी

आगरा। देश में जिस तरीके से दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं, वह डरावने वाली हैं, इसलिए सरकार ने हिट एंड रन कानून को संसद में पास करा कर उसे लागू किया। बेशक हिट एंड रन कानून को लेकर सरकार दबाव में आ गई या ट्रांसपोर्ट एवं ड्राईवर एसोसिएशन से समझौते के बाद ट्रक ड्राइवरों की हड़ताल वापस हुईं हो और सरकार से लेकर आम आदमी तक इससे राहत मिली हो, हकीकत यही है कि दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं और लोग लगातार कालकालवित हो रहे हैं। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार ने किशोर/किशोरियों पर दो पहिया या चार पहिया चलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है, इसके लिए यूपी सरकार ने आदेश भी जारी किए हैं। किशोरों पर इस नियम को सख़्ती के साथ लागू किया जा रहा है। इस कानून के बाद उत्तर प्रदेश में 18 वर्ष से कम उम्र के किशोर या किशोरियों पर दो पहिया या चार पहिया वाहन चलाने हेतु पूर्ण प्रतिबंध लग गया है। यदि कोई वाहन स्वामी 18 वर्ष से कम उम्र के बालक या बालिकाओं को वाहन चलाने के लिए देता है। उसे 3 साल की जेल की सजा और 25 हजार का जुर्माना से दंडित किया जाएगा। यह आदेश उत्तर प्रदेश परिवहन यातायात कार्यालय द्वारा 27 दिसम्बर को लागू किया गया है। इस आदेश के बाद उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के निदेशक ने सूबे के सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को 02 जनवरी को पत्र जारी कर आदेश दिए हैं कि इसे लागू करवाया जाए। इस आदेश को कड़ाई से पालन कराने के लिए क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों / सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों को भी इस आदेश को कड़ाई से अनुपालन कराने के दिशा निर्देश जारी किए हैं।

बताते चलें कि किशोर /किशोरियों में एक्टिवा, अन्य दो पहिया और चार पहिया वाहन चलाने का प्रचलन तेजी के साथ बढ़ा है। किशोर किशोरियों को वाहन ड्राइव कराने में कहीं न कहीं उनके अभिभावकों या परिजनों का बढ़ा हाथ होता है। इसलिए उन्हें प्रोत्साहन मिलता है। उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने 15 दिसंबर को उत्तर प्रदेश सरकार को भेजे गए पत्र में कहा है कि लखनऊ के केजीएमयूँ एवं लोहिया संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा प्रेषित किए गए आंकड़ों के अनुसार सड़क दुर्घटना में जान गँवाने वालों में 40 प्रतिशत नाबालिग़ होते हैं, जिनकी उम्र 12 से 18 वर्ष के बीच होती है। यूपी राज्य बाल संरक्षण अधिकार की सदस्य ने नाबालिगों पर दो / चार पहिया वाहनों के चलाने पर कड़ाई के साथ प्रतिबंध लगना चाहिए। इस आदेश में कहा गया है कि इस आदेश के अनुपालन कराने के लिए शैक्षणिक संस्थानों में जागरूकता अभियान भी चलाने चाहिए।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लागू किया जा रहे इस कानून के तहत धारा 5 के अंतर्गत किसी मोटरयान या वाहन अपने वाहन को किसी भी ऐसे व्यक्ति को न दे जिसकी उनम्र 18 वर्ष से कम हो। वाहन स्वामी न तो ऐसे लोगों से वाहन चलवाएगा और न ही चलाने की अनुमति देगा जिनके पास ड्राइविंग लाइसेंस नहीं है।

उत्तर प्रदेश में किशोरों द्वारा वाहन चलाने के चलते दुर्घटनाओं का ग्राफ तो बढ़ ही रहा है किशोर किशोरियों की असमय मौत भी हो रही है जो सरकार के लिए भी चिंता का सबब है। सरकार ने किशोरों एवं पर सख़्ती के साथ वाहन न चलाने को लेकर मोटर एक्ट में संशोधन भी किया है जिसके अंतर्गत अगर किशोर किसी वाहन से अपराध करता है तो उसकी जिम्मेदारी किशोर की न होकर वाहन स्वामी की होगी, इसके लिए एक नई धारा 199क जोड़ी गई है। जिसके अंतर्गत किशोर के संरक्षक, वाहन स्वामी को दोषी मानते हुए दण्डित किया जाएगा। इस क़ानून के अंतर्गत किशोर के संरक्षक, वाहन स्वामी को तीन साल की कैद और 25 हजार रूपये जुर्माना देना होगा। इसके साथ ही ऐसे किशोर का ड्राइविंग लाइसेंस 25 वर्ष की उम्र के उपरांत ही बन सकेगा। जिसका कड़ाई से पालन कराया जाएगा। अब देखना होगा कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा लागू किए जा रहे इस क़ानून का असर कितना प्रभावी होगा यह तो समय तय करेगा लेकिन इस कानून के लागू होने से अभिभावकों के समस्याएं अवश्य बढ़ सकती हैं।