अहंकार को तोडऩे की लीला है गोवर्धन पूजा

in #govardhan-puja2 years ago

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मंडला. भगवान को हम तभी याद करते हैं, जब संकट में फंसते हैं। वसुदेव ने कारागृह में रहते हुए भगवान को याद किया तो उनके बंधन खुल गए। हम संसार में लोगों की नजर में आने के लिए बहुत से प्रयास करते रहते हैं, लेकिन कभी भगवान की नजर में आने के लिए कोई काम नहीं करते। गोवर्धन पूजा भगवान की वह लीला है, जिसमें उन्होंने अहंकार में अंधे हुए राजा इंद्र की आंखें खोल दी थी। अहंकार को तोडऩे की लीला है गोवर्धन पूजा। भगवान की प्रत्येक लीला हमारे कल्याण के लिए ही होती है। यह बात मृदुकिशोर कॉलोनी में चल रही श्रीमद भागवत कथा पं. संतोषशास्त्री पदमी वाली ने कही।

शास्त्री जी ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं से जहां कंस के भेजे विभिन्न राक्षसों का संहार किया। वहीं ब्रज के लोगों को आनंद प्रदान किया। कथा के दौरान भगवान गिरिराज पर्वत को उठाते हुए सुंदर झांकी सजाई गई। इस दौरान भजनों पर श्रद्धालु देर तक नाचते रहे। प्रसंग में बताया गया कि इंद्र को अपनी सत्ता और शक्ति पर घमंड हो गया था। उसका गर्व दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज मंडल में इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा शुरू करा दी। इससे गुस्साए इंद्र ने ब्रज मंडल पर भारी बरसात कराई। प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान ने कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। सात दिनों के बाद इंद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ। कथा के दौरान भगवान गोवर्धन को उपस्थित श्रद्धालुओं द्वारा 56 भोग समर्पित किए गए।

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