बीआरडी और जिला अस्पताल में डायलिसिस की वेटिंग, लौटाए जा रहे मरीज
जिला अस्पताल में डायलिसिस की 12 यूनिटें चल रही हैं। इसका संचालन वाराणसी की हेरिटेज हॉस्पिटल्स प्राइवेट लिमिटेड कर रही है। दो शिफ्टों में डायलिसिस की जा रही है। प्रतिदिन 36 मरीजों की डायलिसिस हो रही है। 20 से ज्यादा मरीज बिना डायलिसिस के लौटाए जा रहे हैं।
गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में डायलिसिस के लिए मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। दोनों जगह 7 से 15 दिनों की वेटिंग है। प्रतिदिन 20 से 25 मरीज डायलिसिस के बगैर लौटाए जा रहे हैं। इससे मरीज व उनके तीमारदार परेशान हैं।बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अपनी डायलिसिस यूनिट है। 10 मशीनें लगी हैं। इनमें एक मशीन खराब है। नौ मशीनों की मदद से प्रतिदिन दो शिफ्टों में 14 से 16 मरीजों की डायलिसिस की जा रही है। इनमें से पांच मरीज ऐसे होते हैं, जो सप्ताह में चार बार डायलिसिस कराने आते हैं। तीन मरीजों की महीने में दो बार डायलिसिस करनी पड़ती है। ओपीडी में आने वाले कई मरीज ऐसे होते हैं, जिनकी डायलिसिस नहीं हो पाती है। इसके पीछे मरीजों की ज्यादा संख्या बताई जा रही है।जिला अस्पताल में डायलिसिस की 12 यूनिटें चल रही हैं। इसका संचालन वाराणसी की हेरिटेज हॉस्पिटल्स प्राइवेट लिमिटेड कर रही है। दो शिफ्टों में डायलिसिस की जा रही है। प्रतिदिन 36 मरीजों की डायलिसिस हो रही है। 20 से ज्यादा मरीज बिना डायलिसिस के लौटाए जा रहे हैं। जिला अस्पताल में 20 दिन की वेटिंग है। बृहस्पतिवार को डायलिसिस के लिए आने वाले मरीजों कोे अगस्त में बुलाया गया है।
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अमर उजाला खास: बीआरडी और जिला अस्पताल में डायलिसिस की वेटिंग, लौटाए जा रहे मरीज
नीरज मिश्रा, गोरखपुर। Published by: vivek shukla Updated Fri, 22 Jul 2022 01:01 PM IST
सार
जिला अस्पताल में डायलिसिस की 12 यूनिटें चल रही हैं। इसका संचालन वाराणसी की हेरिटेज हॉस्पिटल्स प्राइवेट लिमिटेड कर रही है। दो शिफ्टों में डायलिसिस की जा रही है। प्रतिदिन 36 मरीजों की डायलिसिस हो रही है। 20 से ज्यादा मरीज बिना डायलिसिस के लौटाए जा रहे हैं।
बीआरडी की डायलिसिस यूनिट। - फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में डायलिसिस के लिए मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। दोनों जगह 7 से 15 दिनों की वेटिंग है। प्रतिदिन 20 से 25 मरीज डायलिसिस के बगैर लौटाए जा रहे हैं। इससे मरीज व उनके तीमारदार परेशान हैं।
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जानकारी के मुताबिक, बीआरडी मेडिकल कॉलेज में अपनी डायलिसिस यूनिट है। 10 मशीनें लगी हैं। इनमें एक मशीन खराब है। नौ मशीनों की मदद से प्रतिदिन दो शिफ्टों में 14 से 16 मरीजों की डायलिसिस की जा रही है। इनमें से पांच मरीज ऐसे होते हैं, जो सप्ताह में चार बार डायलिसिस कराने आते हैं। तीन मरीजों की महीने में दो बार डायलिसिस करनी पड़ती है। ओपीडी में आने वाले कई मरीज ऐसे होते हैं, जिनकी डायलिसिस नहीं हो पाती है। इसके पीछे मरीजों की ज्यादा संख्या बताई जा रही है।
Mecca: गैर मुस्लिम शख्स के मक्का पहुंचने पर दुनियाभर के मुसलमानों में नाराजगी, जानें क्या है पूरा मामलामक्का शहर की सीमा मक्का गेट से मानी जाती है। इस गेट के अंदर किसी भी गैर मुस्लिम के प्रवेश पर रोक है।
जिला अस्पताल में डायलिसिस की 12 यूनिटें चल रही हैं। इसका संचालन वाराणसी की हेरिटेज हॉस्पिटल्स प्राइवेट लिमिटेड कर रही है। दो शिफ्टों में डायलिसिस की जा रही है। प्रतिदिन 36 मरीजों की डायलिसिस हो रही है। 20 से ज्यादा मरीज बिना डायलिसिस के लौटाए जा रहे हैं। जिला अस्पताल में 20 दिन की वेटिंग है। बृहस्पतिवार को डायलिसिस के लिए आने वाले मरीजों कोे अगस्त में बुलाया गया है।
हेपेटाइटिस के मरीजों को कुशीनगर तक लगानी पड़ रही दौड़
हेपेटाइटिस-बी और सी के मरीजों को डायलिसिस के लिए परेशान होना पड़ रहा है। कुशीनगर तक की दौड़ लगानी पड़ती है। बताया जा रहा है कि मशीन न होने की वजह से हेपेटाइटिस के मरीजों की डायलिसिस जिला अस्पताल में नहीं होती है। ज्यादातर मरीजों को बीआरडी मेडिकल कॉलेज या फिर कुशीनगर जिला अस्पताल भेजा जा रहा है। ऐसे मरीजों की डायलिसिस के लिए मेडिकल कॉलेज में एक व कुशीनगर जिला अस्पताल में दो मशीनें हैं।
निजी अस्पतालों में महंगा है डायलिसिस
निजी अस्पतालों में डायलिसिस कराना महंगा है। अलग-अलग निजी अस्पतालों के अलग-अलग रेट हैं। एक बार डायलिसिस के लिए मरीजों को आठ से 10 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। जबकि, कई डायलर बदलने पर यह रकम और बढ़ जाती है। इसकी वजह से आर्थिक रूप से कमजोर मरीज निजी अस्पतालों में डायलिसिस नहीं करा पाते हैं। जिला अस्पताल में एक रुपये की पर्ची पर डायलिसिस हो जाती है।
दो शिफ्टों में डायलिसिस के लिए तीन टेक्नीशियन की तैनाती है। जरूरत के मुताबिक वार्ड से स्टाफ नर्स और वार्ड ब्वाय की ड्यूटी लगाई जाती है। पूरी क्षमता के साथ डायलिसिस किया जा रहा है। मरीजों की सुविधा का ख्याल रखा जाता है।
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