ख्यातिलब्ध संस्थानों के संचालन में पुरातन छात्रों की अहम भूमिका- कुलपति

in #gorakhpur2 years ago

IMG-20220430-WA0033.jpgगोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के पहले राष्ट्रीय पुरातन छात्र सम्मेलन के अंतर्गत शनिवार को एजुकेशन इंडस्ट्री इंटरफेस विषयक कार्यशाला का आयोजन प्रशासनिक भवन स्थित कमेटी हाल में किया गया।कुलपति प्रो राजेश सिंह ने कहा कि पुरातन छात्र अपनी संस्थाओं के लिए रीढ़ की हड्डी का कार्य करते हैं। दुनिया भर के ख्यातिलब्ध संस्थानों के संचालन में पुरातन छात्रों की महती भूमिका है। पुरातन छात्र सम्मेलन का आयोजन इंटरप्रेन्योरशिप के लिए एक रोडमैप तैयार करने के साथ ही अपनी पुरातन छात्रों को विश्वविद्यालय से जोड़ने है। हमने सभी विभागों से ‌20 डिस्टिंगविश एल्युमिनाई के नाम मांगे थे। 32 विभागों ने सात से अधिक नाम हमें मिले। उसके बाद एक कमेटी ने 35 डिस्टिंगविश एल्युमिनाई को चिन्हित किया है। इन्हें विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ने स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए पूर्वांचल इन्क्यूबेशन काउंसिल एंड इनोवेशन केंद्र स्थापित किया है। जहां, अगर कोई उद्यमी स्टार्ट अप के अंतर्गत अपने ‌बिजनेस को लांच करना चाहता है। विश्वविद्यालय उन्हें मदद ‌मुहैया कराएगा। विशिष्ट अतिथि ऐश्प्रा समूह के अतुुल सर्राफ ने विश्वविद्यालय प्रशासन के पहल का तारीफ की। कहा कि शिक्षा को तकनीक के साथ जोड़ने से ये बच्चों के साथ समाज को भी लाभान्वित करेगी।
मुख्य अतिथि की भूमिका प्रो सुनील शुक्ला ने निभाई। संचालन प्रो संजय बैजल ने किया। कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रो आरपी सिंह ने प्रस्तुत की।

प्रथम राष्ट्रीय पुरातन छात्र सम्मेलन
शिक्षाशास्त्र विभाग
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर
30 अप्रैल 2022सम्वाद भवन कमेटी हाल
आज मानव सँवेदनाओ से शून्य हो रहा है शिष्य जीवन मेँ शिक्षक का आधार रहता है जो सही जीवन जीने का आधार प्रदान करता है ।इसलिये पुरातन छात्र सम्मेलन उन अहसास और भावनाओं को जाग्रत करता है ।उपरोक्त भावनाओं को डाक्टर डी एस तिवारी पूर्व अध्यक्ष बुद्ध पी जी कालेज कुशीनगर द्वारा शिक्षाशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय पुरातन सम्मेलन मेँ बतौर मुख्य अतिथि प्रकट की गयी।किसी भी विद्यार्थी को गढने का कार्य उस संस्थान में शिक्षक करते हैं इसीलिए विद्यार्थी अपने निजी जीवन में लौट जाने के पश्चात भी शिक्षक के ऋण से उऋण नहीं हो सकता है और और उस विद्यार्थी के पूरे जीवन में शिक्षक का प्रतिबिंब परिलक्षित होता है इसीलिए पुरातन छात्र सम्मेलन विद्यार्थियों को पुनः अपनी संस्थाओं से जुड़ने के लिए गौरवमयी पल प्रदान करता है। उक्त बातें डॉ राज शरण शाही जी, शिक्षाशास्त्र विभाग, बाबा भीमराव वअम्बेडकर द्वारा बतौर विशिष्ट अतिथि शिक्षा शास्त्र विभाग के राष्ट्रीय पुरातन छात्र सम्मेलन में कही गई। किसी भी संस्था में उस संस्था के प्रगति उस संस्था के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों पर निर्भर करता है विद्यार्थियों का लगाओ संस्था से चले जाने के पश्चात भी बना रहता है अतः पुरातन छात्र सम्मेलन के द्वारा संस्थान उन्हें समुदाय से जुड़ पाते हैं और पुरातन छात्र सम्मेलन के प्रति वर्ष कराने से छात्रों का अपने संस्थान के वप्रति संवेदना हमेशा बना रहता है और वह सर्वदा सँस्थान के साथ जुडाव रखता है। पुरातन छात्र सम्मेलन की परंपरा से समर्थन की आवश्यकता है उपरोक्त बातें बतौर विशिष्ट अतिथि डॉ विभ्राटचन्द्र कौशिक उपाध्यक्ष राज्य युवा कल्याण परिषद उत्तर प्रदेश द्वारा कही गई।आशिक शास्त्र विभाग द्वारा अपनी पुरातन माता के भजन का आयोजन समाज भवन के कमेटी हॉल के सभागार में की गई जिसमें मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। सरस्वती वंदना कुलगीत के गायन के पश्चात पति सासु भगवान विभागाध्यक्ष शिक्षा शास्त्र विभाग द्वारा आग अतिथियों का परिचय एवं सम्मान किया गया विभाग के सिखों द्वारा माल्यार्पण कर अंग वस्त्र प्रदान कर एवं स्मृति देकर आग अतिथियों का सम्मान किया गया तत्पश्चात विशिष्ट अतिथि एवं मुख्य अतिथि का उद्बोधन कराया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से डा राजशरण शाही, डॉक्टर विभ्राट चंद्र कौशिक,डॉ डी एस तिवारी, डा ओ पी एम त्रिपाठी, प्रोफ़ेसर शैलजा सिंह प्रोफेसर नरेश प्रसाद भोक्ता, प्रोफ़ेसर राजेश कुमार सिंह सरिता पांडे प्रोफेसर सुनीता दुबे प्रोफेसर सुषमा पांडेय, प्रो विजय चहल, प्रोफेसर उदय सिंह, डॉ एके जायसवाल डॉ राजवीर सिंह डॉ राजेश कुमार सिंह डॉ अनुपम सिंह डॉ दुर्गेश पाल डॉ मीतू सिँह डा ममता चौधरी डॉ लक्ष्मी जयसवाल,सहित विभाग के अनेक शोध विद्यार्थी पुरातन एवम् नवीन विद्यार्थी उपस्थित रहे।सम्पूर्ण कार्यक्रम का सँचालन प्रो0 विजय चहल द्वारा किया गया।आभार ज्ञापन प्रो उदय सिंह द्वारा किया गया।