गोंडा: एंबुलेंस नहीं मिली तो बीमार पिता को कंधे पर लादकर चल पड़ा बेटा

in #gonda2 years ago

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गोंडा। प्रदेश के डिप्टी सीएम व स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक जहां स्वास्थ्य सेवा को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं वहीं सरकारी अस्पतालों में तैनात अफसर व कर्मचारी अपनी करतूत से न सिर्फ स्वास्थ्य महकमें बल्कि सरकार की साख पर भी बट्टा लगाने का काम कर रहे हैं। ताजा मामला गोंडा के बाबू ईश्वर सरण जिला चिकित्सालय का है जहां एंबुलेंस न मिलने के कारण एक बेटे द्वारा अपने बुजुर्ग पिता को कंधे पर लादकर अस्पताल से घर ले जाने की हैरान कर देने वाली तस्वीर सामने आई है। आरोप है कि अस्पताल कर्मियों द्वारा एंबुलेंस देने के बदले पहले पैसे की मांग की गई लेकिन जब उसने पास पैसा देने में असमर्थता जताई तो उसे एंबुलेंस देने से इनकार कर दिया गया। एंबुलेंस न मिलने पर बेबस बेटा अपने 72 वर्षीय बीमार पिता को कंधे पर ही लादकर अपने घर के लिए निकल पड़ा। लाचारी की यह तस्वीर जिसने भी देखा वही इस व्यवस्था को कोसते हुए नजर आया। हालांकि बाद में कुछ समाजसेवी संगठनों ने चंदा लगाकर पीड़ित परिवार की मदद की और टैंपो से उन्हें घर पहुंचाया। स्वास्थ्य महकमें की इस लापरवाही ने एक बार फिर से जिला अस्पताल की व्यवस्था पर सवाल खड़ा कर दिया है।
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बुजुर्ग मरीज को एंबुलेंस न मिलने की यह शर्मनाक तस्वीर गोंडा जिले के बाबू ईश्वर शरण जिला चिकित्सालय की है जहां हलधरमऊ ब्लाक के वाले रहने शिव भगवान ने 4 दिन पहले अपने 72 वर्षीय बीमार पिता को खांसी और सांस लेने में दिक्कत की वजह से जिला अस्पताल में भर्ती कराया था लेकिन पैसे के अभाव में ना तो उसके बीमार पिता को समुचित इलाज मिला और ना ही घर ले जाने के लिए एंबुलेंस नसीब हुई। 4 दिन में बीमार मरीज को सिर्फ 2 इंजेक्शन लगाए गए वह भी अस्पताल से देने के बजाय बाहर से मंगवाया गया। बुजुर्ग के बेटे शिव भगवान का आरोप है कि ₹590 की व्यवस्था कर किसी तरह वह इंजेक्शन तो खरीद लाया लेकिन पैसे के अभाव में डॉक्टरों ने आगे का इलाज नहीं किया। यहां तक की फाइल बनाने के नाम पर भी नर्स ने पीड़ित से ₹100 की मांग की। जब वह ₹100 नहीं दे सका तो उसे सामान्य वार्ड के बदले डेंगू वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। पैसा न मिलने से नाराज नर्स मरीज को बार-बार लखनऊ रेफर करने की बात करती रही। 4 दिन बाद पैसे के अभाव में बुजुर्ग को अस्पताल से भगा दिया गया। बीमार पिता को ले जाने के लिए जब बेटे ने एंबुलेंस मांगी तो अस्पताल कर्मियों ने उसे एंबुलेंस देने से भी इनकार कर दिया। इसके बाद बेबस बेटा अपने बीमार पिता को कंधे पर लाद कर अपने घर के लिए निकल पड़ा।
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वहीं इस पूरे प्रकरण को लेकर जब जिला अस्पताल की सीएमएस डॉ इंदु बाला से बात की गई तो उनका कहना था कि मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज नहीं किया गया है बल्कि उनका बेटा उसे खुद लेकर यहां से चला गया है। नर्स के द्वारा रुपए मांगे जाने के सवाल पर डॉ इंदुबाला ने कहा कि यदि किसी नर्स ने रुपया मांगा था तो पीड़ित को उनके पास आना चाहिए था। फिलहाल उन्होंने मामले की जांच कराकर कार्रवाई करने की बात कही है।

अब सीएमएस की जांच में कौन दोषी मिलता है और किसके खिलाफ कार्रवाई होती है यह तो आने वाला समय बताएगा लेकिन बीमार पिता को कंधे पर लादकर ले जाने वाले बेटे की इस तस्वीर ने गोंडा जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अब यह देखने वाली बात होगी प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य मंत्री इस पर कोई एक्शन लेते हैं या फिर यह जांच भी अन्य जांचों की तरह फाइलों में दबकर ही रह जाएगी।