राहगीरों ने पतंग के मांझे में फंसे कबूतर को बचाया

in #ghaziabad2 years ago

लोकेशन गाजियाबाद

  • कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं होता एक पत्थर तो उछालो यारो इस कहावत को चरितार्थ किया है आज राह चलते हुए लोगों ने और वह भी Screenshot_20220817-180922_Gallery.jpgएक कबूतर के लिए पतंग के मांझे में कबूतर फंसा हुआ था और हाई टेंशन वायर में लटक रहा था और खुद को बचाने की कोशिश कर रहा था लेकिन वह उसकी बस की बात नहीं थी तभी कुछ राह चलते इंसान फरिश्ते बन कर आए और इस कबूतर की जान बचाने की ठान ली आखिर 2 घंटे की जद्दोजहद के बाद हाई टेंशन लाइन मैं पतंग के मांझे के साथ फंसे हुए इस कबूतर को बचा लिया गया।

Vo - बीच सड़क पर बस लगाकर एक लंबी बांस में बांस जोड़कर ऊपर कबूतर को बचा रहे यह आम लोग हैं जो यहां से गुजर रहे थे इन्होंने कबूतर को Screenshot_20220817-180957_Video Player.jpgलटकते हुए देखा जो अपनी जिंदगी और मौत से जूझ रहा था दरअसल यह कबूतर उड़ता हुआ पतंग के मांझे मैं उलझ गया और इस हाईटेंशन लाइन में आकर फस गया जिसके बाद ना इस कबूतर को जमीन हाथ आई वह ना आसमान और खुद को बचाने की जद्दोजहद पतंग के मांझे में फंसा वर्क कर रहा था तभी यह राहगीर यहां से गुजर रहे थे इन्होंने बस रुक हवाई बस के ऊपर खड़े हुए लंबे लंबे डंडों का इंतजाम किया आपस में जोड़ें और बचाने की कोशिश होती है बचाने वालों का कारवां बनता चला गया भीड़ जुटती से ली गई सभी लोगों ने अपना अपना दिमाग लगाया और मेहनत भी की आखिरकार 2 घंटे की मेहनत के बाद इस कबूतर को किस तरह बचाया गया यह तस्वीरों में आप देख सकते हैं लोगों की इंसानियत आज भी जिंदा है यह तस्वीरें इस बात की तस्दीक करती है जिस शहर में एक्सीडेंट के बाद घायल अवस्था में सड़कों पर इंसान पड़े रहते हैं कई बार लोगों ने नहीं उठाते और लोगों की भावनाएं मर जाती है ऐसे में इस कबूतर को बचाने के लिए जो कार्रवाई खट्टा हुआ और राहगीरों ने पहल की और उसकी जिंदगी को बचा लिया उसकी सब सहाना कर रहे हैं।
दरअसल यह खबर और तस्वीर इस बात का मैसेज देती है कि पशु पक्षियों के सुख-दुख का और आने वाली मुसीबत का ध्यान रखना चाहिए पतंग के मांझे में उलझे हुए इस कबूतर की जान तो बच गई लेकिन ऐसे बहुत सारे जीव और पक्षी है जो इसी तरह अकाल के मुंह में चले जाते हैं लिहाजा सभी को इसी तरह से की पहल करनी चाहिए की मुसीबत में फंसे हुए और इस परिस्थितियों में इन पक्षों की जान बचा नहीं चाहिए।

बाइट - राहगीर जिन्होंने कबूतर को बचाया

बाइट राहगीर जिसने कबूतर को बचाने की पहल शुरू की है