गणपति की धूम चंदौसी से बरेली की गलियों में भी पहुंची

in #ganesh9 days ago

बरेली 7 सितम्बरः(डेस्क)गणेश उत्सव का जयकारा अब पूरे देश में गूंज रहा है, खासकर मुंबई की गलियों से। बरेली शहर में इस उत्सव की शुरुआत 1857 में पेशवा स्टेट के समय हुई थी, लेकिन कुछ समय के लिए यह परंपरा रुक गई थी। 1986 से इस आयोजन ने एक नई दिशा ली और अब यह एक महत्वपूर्ण परंपरा बन चुका है।

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Image credit : Amar Ujala

चंदौसी की भूमिका

चंदौसी कस्बे ने इस उत्सव के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यहां गणेश उत्सव की शुरुआत 1961 में हुई थी, जो अब इस क्षेत्र की पहचान बन चुका है। समय के साथ, यह उत्सव समृद्ध होता गया है। कभी 145 फुट ऊंची गजानन की मूर्ति स्थापित की गई, तो कभी स्वर्णिम आभा वाले गणपति ने लोगों का ध्यान खींचा। अब यहां थीम आधारित आयोजन होते हैं, जिसमें आसपास के जिलों से लोग शामिल होते हैं।

बरेली में उत्सव का विकास

बरेली में गणेश उत्सव की शुरुआत चार दशक पहले सिविल लाइंस इलाके से हुई थी। आज, यह शहर का प्रमुख आयोजन बन चुका है। जिले के सैकड़ों पंडालों में विघ्नहर्ता का पूजन किया जाता है। हाल ही में, सिविल लाइंस में विघ्नहर्ता की 40वीं रथयात्रा निकाली गई। श्री गणेश उत्सव समिति के अध्यक्ष राजू खंडेलवाल ने बताया कि जब इस उत्सव की शुरुआत हुई थी, तब पुलिस शोभायात्रा निकालने की अनुमति नहीं देती थी, लेकिन अब पुलिस स्वयं इस आयोजन में सहयोग करती है।

स्थानीय समितियों का योगदान

श्री नाथ नगरी के राजा समिति के अध्यक्ष विकास महरोत्रा ने कहा कि 20 साल पहले जब प्रभा टॉकीज के पास गणेश उत्सव मनाया जाता था, तब केवल कुछ ही लोग शामिल होते थे। अब चार से पांच हजार लोग इस उत्सव का हिस्सा बनते हैं। पिछले साल, समिति ने 21 प्रतिमाओं का निशुल्क वितरण किया था, जबकि इस बार 31 प्रतिमाओं का वितरण किया गया है।

कटरा मानराय में इस बार 21वीं शोभायात्रा निकाली जाएगी। कटरा का राजा गणेश महोत्सव समिति के अध्यक्ष प्रमोद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि पहले दो फुट की प्रतिमा रखकर पूजा होती थी, जबकि अब सात से आठ फुट ऊंची प्रतिमा स्थापित की जाती है।

शोभायात्रा और श्रद्धालुओं की भागीदारी

शाहबाद मोहल्ले में श्री गणेश महोत्सव समिति के अध्यक्ष अरुण वर्मा ने बताया कि उनकी समिति में 20 सदस्य हैं, जो बिना चंदा लिए इस बार 24वीं शोभायात्रा निकाल रहे हैं। उनका कहना है कि हर साल आयोजन का स्वरूप भव्य होता जा रहा है और श्रद्धालुओं की सहभागिता भी बढ़ रही है।

गणेश उत्सव अब बरेली के लिए एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन बन चुका है, जो न केवल स्थानीय लोगों को जोड़ता है, बल्कि आसपास के क्षेत्रों से भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इस उत्सव की धूम पूरे देश में फैली हुई है, और यह भारतीय संस्कृति की विविधता और समृद्धि का प्रतीक है।