पोला पर्व पर निकला गैंड़ी जुलूस

in #gandi2 years ago

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  • घर-घर मिट्ïटी, लकड़ी के अश्व की पूजा

मंडला। लकड़ी, मिट्टी के अश्व का पूजन कर पोला पर्व मनाया गया। दोपहर बाद गैड़ी जुलूस बस स्टेंड से नर्मदा तट तक निकाला गया। बैंड बाजा के साथ निकले जुलूस में बड़ी संख्या में युवा बच्चे शामिल हुए। पोला पर्व मनाने की परंपरा यहां वर्षो से चली आ रही है। पर्व को लेकर बच्चो में अधिक उत्साह दिखाई दिया। बताया गया कि जिले में पोला पर्व मनाया गया। लोगो ने लकड़ी, मिट्टी के अश्व क्रय कर उनका पूजन किया। पोला पर्व में बेसन के स्वादिष्टï पकवान बनाए गए। शाम को गैंड़ी जुलूस बस स्टेड से निकाला गया।

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इस जुलूस को देखने के लिए लोगो में भी उत्साह दिखा। बच्चो ने गैंड़ी पर चलकर जुलूस में भ्रमण किया। इस दौरान बच्चो ने गीत भी गाये। जुलूस बस स्टेंड से नर्मदा तट तक निकाला गया। गैड़ी में घूमने वाले बच्चों ने अश्वों के लिए बनाए गए पकवानों को लेकर नर्मदा तटों पर पहुंचकर गैड़ी को नर्मदा जल से धुलकर पकवानों का सेवन किया। इसके बाद आज नर्मदा तटों पर जाकर गैड़ी में पैर रखने के लिए बनाए गए बांसों को विसर्जित किया जायेगा। जुलूस में बड़ी संख्या बच्चे सामूहिक रूप से शामिल हुए।

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  • हरियाली से शुरू गैंड़ी :
    बच्चों का गैड़ी में घूमने का सिलसिला हरियाली अमावस्या से प्रारंभ हो जाता है। शहरी क्षेत्रो में गैड़ी कम दिखाई देती है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रो में बच्चो के लिए मनोरंजन का सबसे अच्छा साधन है। परंपरा के अनुसार पोला तक बच्चे गैंड़ी में घूमते है।

  • ये है मान्यता :
    प्राचीन मान्यता के अनुसार वर्षा समाप्ति की ओर होने पर व्यापारी अपने काम-धंधे के लिए घोड़ों पर निकलने से पूर्व उनकी पूजा-अर्चना करते थे जिससे यह परंपरा आज भी बरकरार है। महाराष्ट्र में कहावत है कि पोला आला पानी झाला अर्थात एक तरह से यह पर्व वर्षाकाल की समाप्ति का प्रतीक भी माना जाता है।

  • दिन भर बिके अश्व :
    बाजार में पोला पर्व के लिए अश्वो की बिकवाली कल भी दिन भर चली। पकवान बनाने के लिए बेसन, गुढ़, तेल आदि की खरीदारी की गई। त्यौहार के चलते इन सभी सामग्रियो के मूल्यो में उछाल देखा जा रहा है।