कठघरे में डीएफओ की कार्यशैली

in #forest2 years ago

अनूपपुर/अमरकंटक

वन परिक्षेत्र अधिकारी अमरकंटक की उदासीनता के कारण सैकड़ों की तादात में मजदूर वर्ग काम करने के बाद मजदूरी भुगतान ना होने की स्थिति में कल कलेक्टर कार्यालय अनूपपुर का घेराव किए थे ।जहां से वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों ने उन मजदूरों को भुगतान कराए जाने की बात कह कर वहां से हटाकर पुराने वन मंडल कार्यालय अनूपपुर में लाकर बैठा दिए हैं ।और उन्हें मजदूरी का भुगतान नही किया जा रहा ,ना ही उनके रहने खाने की व्यवस्था की जा रही । प्राप्त जानकारी के मुताबिक उन मजदूरों के छोटे-छोटे बच्चे बीमार पड़े हुए हैं उनके पास दवाई एवं राशन का पैसा नहीं है और वही वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी पूरे मामले को लेकर चुप्पी साधे बैठे हुए हैं।

ज्ञातव्य है कि जब उन मजदूरों के संबंध में विभाग के जिम्मेदारों से बात की गई तो विभाग के अधिकारियों ने आरोप लगाया कि मजदूर काम नहीं किए हैं, इसलिए इनका मजदूरी भुगतान नहीं किया जा रहा इस संबंध में जब नवागत वनरक्षक रामेश्वर पटेल से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने बताया कि इन मजदूरों का यह कोई पहला मामला नहीं है इनके द्वारा सदैव ऐसा किया ही जाता है ।लेकिन सवाल यहां यह उठता है कि अगर मामला सदैव ऐसा ही होता है तो विभाग ऐसे मजदूरों से जो जिले से बाहर आकर प्रवासी मजदूर बनकर काम करते हैं, उन से काम क्यों लिया जाता है ?

जब मध्यप्रदेश शासन द्वारा जारी किए गए गाइडलाइन के मुताबिक जिले में चल रहे किसी भी सरकारी निर्माण कार्य को पहली प्राथमिकता वहां के समिति एवं क्षेत्रीय लोगों से काम लिया जाना है ,इसके बाद भी विभाग अन्य जिलों से मजदूर लाकर क्यों काम कराया ? यह जांच का विषय है अगर काम भी लिया तो समय रहते उक्त मजदूरों का मजदूरी भुगतान कर दिया गया होता तो आज यह स्थिति नहीं बनती की वह मजदूर कलेक्टर कार्यालय का घेराव किए होते या की वन मंडल कार्यालय जो एक सरकारी कार्यालय है वह यात्री प्रतीक्षालय बनकर रहा होता।

पूरे मामले को लेकर जब एसडीओ मानसिंह मरावी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इन मजदूरों का काम सही नहीं रहता इस लिए काम का सत्यापन करने के बाद ही इनका मजदूरी भुगतान किया जाएगा ।उन्होंने कबूल किया कि हमारे वन परीक्षेत्र अधिकारी सहित अन्य कर्मचारियों की बड़ी लापरवाही है जो जिले से हटकर अन्य जिलों के प्रवासी मजदूरों से काम लिए हैं । इस बीच वन मंडल कार्यालय में उपस्थित वन परीक्षेत्र अमरकंटक के वनरक्षक रामेश्वर पटेल ने बताया कि इन मजदूरों का काम सही नहीं रहता संभवत विभाग की ओर से एवं कलेक्टर की पहल पर दो-तीन दिन के अंदर मजदूरी भुगतान करा दिया जावेगा।

जब पूरे मामले को लेकर वन परिक्षेत्र अधिकारी अमरकंटक से बात करने का प्रयास किया गया उन्होंने अपना फोन रिसीव नहीं किया वही वनरक्षक रामेश्वर पटेल के द्वारा परीक्षेत्र का नया कर्मचारी होने के कारण अपने रेंजर का नाम ना बता पाने बात कही गई विभाग द्वारा किसी भी मामले को मीडिया के सामने तथ्य छुपाना या की मीडिया को भ्रमित करना जैसे मामला स्पष्ट साबित तब हुआ जब कर्मचारी अपने अधिकारी का नाम बताने से असमर्थता जाहिर कर दी। उक्त पूरे मामले को लेकर ईमानदारी का चोला ओढ़े जिम्मदारों की कार्यशैली पर सवाल उठते हुए दिखाई दे रहा है करण की वन मंडल अधिकारी जब से अनूपपुर में पदस्थ हुए हैं छोटे-छोटे मामलों को लेकर निगरानी करते हुए कई बार अधिकारी कर्मचारियों को सचेत किए जाने के बावजूद भी अगर इतना बड़ा मामला उन्हीं के नजरों के सामने स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है तो ऐसे में वन मंडल अधिकारी अब्दुलअली अंसारी क्या अपने दोषी कर्मचारियों की लापरवाही को लेकर अभय दान देंगे या सजा।IMG_20220601_134414.jpg