यूपी में बाढ़ पीड़ितों को राहत: 24 घंटे में सिर्फ छह पूड़ी भोजन, वह भी सभी को नहीं,

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बरेली 1 सितम्बरः(डेस्क)लखीमपुर खीरी जिले में बाढ़ के कारण किसान और मजदूर वर्ग के लोग, जो दूसरों का पेट भरने में लगे रहते हैं, खुद भूख से तड़प रहे हैं। प्रशासन बाढ़ पीड़ितों को मदद पहुंचाने के बड़े-बड़े दावे कर रहा है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 24 घंटे में एक बार ही भोजन के पैकेट दिए जा रहे हैं, जिसमें केवल पांच से छह पूड़ी, सब्जी और अचार होता है।

WhatsApp Image 2024-09-18 at 19.06.36_d07f95dd.jpgImage credit : Amar Ujala

बाढ़ का प्रभाव

बाढ़ की स्थिति इतनी गंभीर है कि पीड़ितों की संख्या कई गुना अधिक होने के कारण भोजन के पैकेट कुछ ही लोगों को मिल पा रहे हैं, जिससे कई लोग भूखे रहने को मजबूर हैं। पिछले जुलाई माह से निघासन, पलियाकलां, धौरहरा तहसील क्षेत्र और सदर तहसील के फूलबेहड़ व नकहा इलाके बाढ़ की चपेट में हैं। हालात यह हैं कि बीते शुक्रवार के बाद से इन क्षेत्रों में स्थिति और भी बदतर हो गई है। लगभग 250 गांव बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं, जहां मुख्य सड़कों, संपर्क मार्गों और गांवों के गलियारों में बाढ़ का पानी भरा हुआ है।

भोजन और पानी की समस्या

इन गांवों के निवासियों के सामने सबसे बड़ी समस्या भोजन और पीने के पानी की खड़ी हो गई है। बाढ़ के पानी ने घरों में रखा सारा अनाज खराब कर दिया है, जिससे लोग भूखे रहने को मजबूर हो गए हैं। तहसील निघासन के गांव गोतेबाज पुरवा में शारदा नदी की बाढ़ का पानी पिछले पांच दिनों से भरा हुआ है। गांव के लोग छतों या ऊंचे स्थानों पर रह रहे हैं।

गांव के निवासी फूला, कमरूननिशां, जहाना, उमर, इम्तियाज, सलमान, छंगा और निहाल ने बताया कि खाने की सभी वस्तुएं खत्म हो गई हैं। ऐसे में उन्हें भूख से तड़पना पड़ रहा है।

प्रशासनिक लापरवाही

हालांकि प्रशासन ने राहत कार्य शुरू करने का दावा किया है, लेकिन वास्तविकता यह है कि राहत सामग्री की कमी और वितरण प्रणाली की अव्यवस्था ने स्थिति को और भी गंभीर बना दिया है। प्रशासन द्वारा बाढ़ पीड़ितों को दी जा रही सहायता अपर्याप्त साबित हो रही है।