अंतरंग प्रवाहना का नाम ही पर्यूषण पर्व है-शिवदत्त सागर महाराज

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-दस लक्षण पर्व की शुरूआत से पूर्व निकाली गई घटयात्रा
टूंडला। पर्यूषण पर्व आने से पहले पर्यूषण पर्व के इस त्योहार का सार समझने की जरूरत है। अंतरंग प्रवाहना करने का नाम ही पर्यूषण पर्व है। यह विचार पारससनाथ मंदिर में चातुर्मास के अवसर पर मुनि श्री 108 शिवदत्त सागर महाराज ने व्यक्त किए।
पारसनाथ मंदिर इंद्रा नगर में दस लक्षण पर्व की शुरुआत से पहले जिन भगवान की भव्य घटयात्रा निकाली गई। मुनि श्री 108 शिवदत्त सागर महाराज जी ने कहा कि एक जीव आत्मा को परमात्मा कैसे बनाता है। मनुष्य पर्याय बड़ी दुर्बलता से मिलती है। यह अनादि काल 83 लाख 79 हजार 970 कालो के बाद मनुष्य पर्याय मिलती है। जैन कुल में जन्म मिलता है। भारत देश मुनियों की नगरी है। भारत देश ही ऐसा देश है जहां कई पर्व मनाए जाते हैं। चाहे दीपावली, होली, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी या फिर पर्यूषण पर्व। आप दस दिन अपने मन को वश में और संयोजित नहीं कर सकते हो तो फिर दस दिन तुम पैसे से मोह छोड़ दो। दस लक्षण पर्व में मुनि चर्या जैसा आधारित यह पर्व को बड़े नियम धारण करके दस दिन बड़ी चर्या के साथ पर्यूषण पर्व मनाओ। इस पर्यूषण पर्व पर अपनी क्रियाओं, भावनाओ को अच्छा बनाना है। दस दिन सभी भौतिक चीजे साबुन, शैंपू, लिपिस्टिक, पाउडर, तेल और सभी आर्टिफिशियल चीजों का दस दिन त्याग कर दो। दस दिन मुनि चर्या को जियो, यह दस अपना ज्यादा समय जिन भक्ति में लगाओ। जिससे तुम्हारी आत्मा का परमात्मा से जोड़कर अपना कल्याण कर सको। दस लक्षण जितना अनुशासित होगा तुम्हारा जीवन भी उतना ही सुन्दर और अनुशासित ढंग से निखरेगा।
इस मौके पर ब्रज क्षेत्र सह प्रभारी भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा सचिन जैन, चातुर्मास कमेटी अध्यक्ष डॉ शैलेन्द्र जैन, अनिल जैन राजू, कमलेश जैन, सुरेन्द्र जैन, कमल जैन, संदीप जैन, विपिन जैन, प्रदीप जैन, राजेश जैन, सोनल जैन, आशु जैन, गोपाल, निखिल एवं जैैन समाज के अन्य लोग भी मौजूद रहे

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