जेल में हुनर सीखकर आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रही महिला बंदी

in #female6 days ago

बाराबंकी 13 सितम्बरः (डेस्क)बाराबंकी जेल में बंद महिला बंदियों का हुनर और आत्मनिर्भरता का सफर

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बाराबंकी जिला जेल में बंद महिला बंदियों ने अलग-अलग कौशल सीखकर खुद को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया है। इन महिलाओं ने जेल में रहते हुए ही चंदन, तुलसी और एलोवेरा वाले साबुन बनाने का कौशल सीखा है, जबकि कुछ अन्य महिलाओं ने मेहंदी रचाने और दुल्हन को सजाने का कौशल हासिल किया है।

जेल प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान का मकसद महिला बंदियों को जेल से बाहर आने के बाद आत्मनिर्भर बनाना है। जेल से छूटने के बाद इन महिलाओं को अपने सीखे हुए कौशल के माध्यम से स्वरोजगार शुरू करने और दूसरों को भी आत्मनिर्भर बनाने की उम्मीद है।

चंदन, तुलसी और एलोवेरा वाले साबुन बनाने का कौशल
करीब 40 महिला बंदियों ने जेल में रहते हुए ही चंदन, तुलसी और एलोवेरा वाले साबुन बनाने का कौशल सीखा है। इन महिलाओं ने जेल के अंदर ही एक छोटा सा उद्योग शुरू कर दिया है और अब वे साबुन बनाकर बेच भी रही हैं।

जेल प्रशासन द्वारा इन महिलाओं को साबुन बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है और उन्हें इसके लिए आवश्यक सभी सामग्री भी मुहैया कराई गई है। इन महिलाओं ने अपने कौशल और मेहनत से अच्छी क्वालिटी के साबुन बनाने में कामयाबी हासिल की है और अब वे इन साबुनों को जेल के बाहर भी बेच रही हैं।

मेहंदी रचाने और दुल्हन को सजाने का कौशल
जेल में बंद कुछ अन्य महिला बंदियों ने मेहंदी रचाने और दुल्हन को सजाने का कौशल हासिल किया है। इन महिलाओं ने जेल में रहते हुए ही अपने कौशल को निखारा और अब वे दुल्हनों को सजाने का काम भी कर रही हैं।

जेल प्रशासन द्वारा इन महिलाओं को मेहंदी रचाने और दुल्हन को सजाने का प्रशिक्षण दिया गया है और उन्हें इसके लिए आवश्यक सभी सामग्री भी मुहैया कराई गई है। इन महिलाओं ने अपने कौशल और मेहनत से अच्छी क्वालिटी की मेहंदी रचाने और दुल्हन को सजाने में कामयाबी हासिल की है और अब वे इन सेवाओं को जेल के बाहर भी प्रदान कर रही हैं।

आत्मनिर्भरता का संकल्प
इन महिला बंदियों ने जेल से बाहर आने के बाद स्वरोजगार शुरू करने और दूसरों को भी आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया है। इन महिलाओं ने अपने कौशल और मेहनत से अच्छी क्वालिटी के उत्पाद और सेवाएं प्रदान करके खुद को आत्मनिर्भर बनाया है और अब वे इसी कौशल के माध्यम से दूसरों को भी आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रही हैं।

जेल प्रशासन द्वारा इन महिलाओं को जेल से बाहर आने के बाद स्वरोजगार शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है और उन्हें इसके लिए आवश्यक सभी सहायता भी प्रदान की जा रही है। इन महिलाओं का मानना है कि अगर उन्हें जेल से बाहर आने के बाद भी समाज द्वारा स्वीकार किया जाए और उन्हें अपने कौशल का उपयोग करने का मौका मिले, तो वे खुद को और दूसरों को भी आत्मनिर्भर बनाने में कामयाब हो सकती हैं।

जेल प्रशासन का प्रयास
बाराबंकी जिला जेल प्रशासन द्वारा महिला बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। जेल प्रशासन द्वारा इन महिलाओं को अलग-अलग कौशल सीखने के लिए प्रेरित किया जा रहा है और उन्हें इसके लिए आवश्यक सभी सहायता भी प्रदान की जा रही है।

जेल प्रशासन का मानना है कि अगर इन महिला बंदियों को जेल से बाहर आने के बाद भी समाज द्वारा स्वीकार किया जाए और उन्हें अपने कौशल का उपयोग करने का मौका मिले, तो वे खुद को और दूसरों को भी आत्मनिर्भर बनाने में कामयाब हो सकती हैं। इसलिए जेल प्रशासन द्वारा इन महिलाओं को अलग-अलग कौशल सीखने के लिए प्रेरित किया जा रहा है और उन्हें इसके लिए आवश्यक सभी सहायता भी प्रदान की जा रही है।

निष्कर्ष
बाराबंकी जिला जेल में बंद महिला बंदियों ने अलग-अलग कौशल सीखकर खुद को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लिया है। इन महिलाओं ने जेल में रहते हुए ही चंदन, तुलसी और एलोवेरा वाले साबुन बनाने का कौशल सीखा है, जबकि कुछ अन्य महिलाओं ने मेहंदी रचाने और दुल्हन को सजाने का कौशल हासिल किया है।

जेल से बाहर आने के बाद इन महिलाओं को अपने सीखे हुए
कौशल के माध्यम से स्वरोजगार शुरू करने और दूसरों को भी आत्मनिर्भर बनाने की उम्मीद है। जेल प्रशासन द्वारा भी इन महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं और उन्हें इसके लिए आवश्यक सभी सहायता भी प्रदान की जा रही है।