हौसले से बदली तकदीर, लिखी कामयाबी की कहानी

in #fate9 days ago

बाराबंकी 10 सितम्बरः (डेस्क)बाराबंकी की बिटिया स्मिता श्रीवास्तव की कहानी एक प्रेरणा है जो हमें बताती है कि कठिनाइयों के बावजूद कैसे सफलता पाई जा सकती है। दुष्यंत कुमार की पंक्तियाँ, "कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों," स्मिता के जीवन पर पूरी तरह से लागू होती हैं।

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स्मिता ने जन्म से ही शारीरिक चुनौतियों का सामना किया, क्योंकि उसके दोनों हाथों की अंगुलियाँ नहीं हैं। इसके बावजूद, उसने कभी हार नहीं मानी और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल की। उसने बीटेक और एमबीए की पढ़ाई पूरी की और अपनी मेहनत के बल पर एक मल्टीनेशनल कंपनी (एमएनसी) में नौकरी प्राप्त की।

वर्तमान में, स्मिता नगर पालिका में लिपिक के रूप में कार्यरत है और अपने परिवार की जिम्मेदारियों को मजबूती से संभाल रही है।
उसकी यह यात्रा न केवल व्यक्तिगत संघर्षों की कहानी है, बल्कि यह समाज के लिए एक संदेश भी है कि किसी भी परिस्थिति में उम्मीद और मेहनत से सफलता पाई जा सकती है।

स्मिता का जज्बा और संघर्ष हमें यह सिखाता है कि असंभव को संभव बनाने की ताकत हमारे भीतर होती है। उसकी कहानी उन सभी के लिए प्रेरणा है जो जीवन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।