जनजातीय विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन।

in #event2 years ago

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति के 2 वर्ष पूरे होने पर जनजातीय विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन।

आजादी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति के 2 वर्ष पूरे होने पर "राष्ट्रीय शिक्षा नीति : वैश्विक परिप्रेक्ष्य में आदिवासी शिक्षा पर विचार" विषय पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक द्वारा एक राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंग के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव श्री गुंठा लक्ष्मण विशिष्ट अतिथि थे, हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी. जे. राव और गुजरात केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राम शंकर दुबे कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता थे। कार्यक्रम की शुरुआत में, कार्यक्रम की सह-संयोजक डॉ. पी. श्रीदेवी ने कार्यक्रम के महत्व के बारे में बताया और अतिथियों का परिचय दिया। कार्यक्रम के संयोजक प्रो. एम.टी.वी. नागराजू ने अतिथियों के लिए स्वागत भाषण दिया और प्रो. आलोक श्रोत्रिय (अधिष्ठाता - अकादमिक) द्वारा विश्वविद्यालय की विकास यात्रा की प्रस्तुति दी गई। प्रो. आर.एस. दुबे ने अपने उद्बोधन में वर्तमान युग में एनईपी के महत्व पर बात की और प्रो. बी. जे. राव ने जनजातीयों में शिक्षा पर एनईपी के महत्व और प्रभाव पर जोर दिया।
श्री गुंथा लक्ष्मण ने आदिवासी लोकाचार सहित भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और हाशिए पर पड़े समुदायों के विकास के संदर्भ में पूरे देश में एनईपी के कार्यान्वयन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि शैक्षिक नीति में सुधार से जनजातीय और ग्रामीण समाज को लाभ होगा और इसका वैश्विक प्रगति पर प्रभाव पड़ेगा। इसलिए भविष्य की पीढ़ियों के बौद्धिक विकास पर इसकी महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने एनईपी के कार्यान्वयन में न केवल प्राथमिक और उच्च शिक्षा में शिक्षकों के हिस्से को प्रेरित किया, बल्कि वंचित समुदायों के वैश्विक नेताओं को तैयार करने के लिए शिक्षकों को भी प्रेरित किया जो बदले में पूरे देश को प्रेरित करेंगे।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी ने अपने अध्यक्षीय भाषण में जनजातीयों के सांस्कृतिक मूल्यों और पारंपरिक ज्ञान के प्रसार के महत्व को व्यक्त किया और स्वदेशी परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अपने विचार भी व्यक्त किए। इस अवसर पर अलावा डॉ. अनिरुद्ध कुमार (सहायक प्राध्यापक - वनस्पति विज्ञान) द्वारा संपादित पुस्तक "स्थायी कृषि और वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए ओमिक्स प्रौद्योगिकियां; खंड-1 व 2" का विमोचन माननीय अतिथियों द्वारा किया गया।