बनने से पहले ही आवासों पर लगा ग्रहण
एटा। शहर के बेघरों को बसाने के लिए पीएम आवास योजना के तहत 500 आवास बनाए जाने का प्रस्ताव था। योजना के तहत आवेदन भी ले लिए गए। ढाई साल पहले 336 आवासों का प्रस्ताव तैयार कराकर स्वीकृति के लिए शासन को भेजा गया। आज तक निर्माण को मंजूरी नहीं मिल पाई। बेघर आवेदक दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कमजोर आर्थिक स्थिति वाले परिवारों को मकान बनवाने में सरकार मदद देती है। अपनी जमीन पर निर्माण कराने के लिए उन्हें तीन किस्तों में ढाई लाख रुपये दिए जाते हैं। इस योजना के तहत काफी संख्या में लोगों को लाभ मिला है। समस्या उन लोगों के सामने है, जिनके पास जमीन ही नहीं है। ऐसे लोगों को आवास दिलवाने के लिए आवासीय कॉलोनी बनवाने का फैसला किया गया। इसके लिए मानपुर स्थित कांशीराम कॉलोनी के पास एक हेक्टेयर भूमि को चिह्नित किया गया। उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद से डीपीआर (विस्तृत कार्ययोजना) बनवाई गई। पहले चरण में 336 आवासों के लिए प्रोजेक्ट तैयार किया गया। इसके लिए करीब 19 करोड़ रुपये की लागत बताई गई। निर्माण के बाद एक आवास लोगों को 4.50 लाख रुपये में उपलब्ध कराया जाना था। जिसमें ढाई लाख रुपये सरकार से सब्सिडी मिल जाती। डीपीआर तैयार करने के साथ ही डूडा के माध्यम से आवेदन मांग लिए गए। करीब डेढ़ सौ लोगों ने आवेदन कर भी दिए। फरवरी 2020 में डीपीआर शासन को भेज दी गई। इसके कुछ समय बाद ही कोरोना शुरू हो गया और मामला अटक गया। अब तक यह डीपीआर ठंडे बस्ते में है। परियोजना अधिकारी डूडा ललिता पाठक ने बताया कि समय-समय पर शासन का सूचनाएं भेजी जाती हैं। जो डीपीआर भेजी गई थी, उसे अभी तक मंजूरी नहीं मिली है।लोग बोले...
किराए के मकान में रह रहे हैं। करीब तीन साल पहले डूडा में आवेदन किया था। आज तक कॉलोनी का पता नहीं लग पाया।
- साबिर अली, नगला पोता
तैयार आवास बनाकर दिए जाने की बात सुनकर खुशी हुई थी। हम भी एक आवास लेना चाहते थे, लेकिन अभी तक काम शुरू नहीं हुआ।
- सत्यवीर सिंह, आवास विकास कॉलोनी