सुलतानपुर का एक अद्भुत परिवार:

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Image credit: Amar Ujala

मिसाल बना सुलतानपुर का यह परिवार, सात बच्‍चों में से पांच बने अधिकारी, तीन क्‍लियर कर चुके हैं UPSC

संदीप अग्रहरि, जागरण। कादीपुर (सुलतानपुर):बरवारीपुर गांव के वंशराज द्विवेदी जीवन बीमा निगम में कार्य करते हैं । उनका सपना था कि बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर उस मुकाम पर पहुंचें, जिससे अन्य लोगों के लिए प्रेरणा बन सकें। उनका यह स्वप्न लगभग पूरा हो चुका है।

सात में पांच बच्चे अधिकारी बन गए। एक बेटा सिविल सर्विस में जाने की तैयारी कर रहा है। इस परिवार को लोग आफिसर्स फेमिली कहते हैं। इसके मुखिया और सदस्यों की मिसाल दी जा रही है।

बेटी व बेटे (निखिल- प्रिया द्विवेदी) का एक साथ चयन संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन विभाग में उपायुक्त पद पर हुआ। इसका परिणाम 15 जुलाई को आया था।

बड़ी बेटी ने घर में बनाया पढ़ाई का माहौल:

परिवार की सबसे बड़ी बेटी प्रियंका द्विवेदी ने घर में पढ़ाई का माहौल बनाया। अर्थशास्त्र में गोल्ड मेडल हासिल कर भाइयों व बहन को शिक्षा के लिए प्रेरित किया। हालांकि, शादी होने के बाद वह घर-गृहस्थी में लग गईं। इसके बाद इस घर के बच्चों में अधिकारी बनने की होड़ सी लग गई।

सबसे पहले बड़े पुत्र रविशंकर द्विवेदी पीसीएस अधिकारी बने। वह प्रयागराज में डीपीआरओ हैं । दूसरे नंबर के निश्चय द्विवेदी सिविल सेवा की तैयारी कर रहे हैं। तीसरे नंबर के शिवम द्विवेदी चौरी चौरा में उपनिबंधक हैं। चौथे नंबर के निखिल द्विवेदी आजमगढ़ में क्षेत्रीय वन अधिकारी थे। अब डिप्टी कमिश्नर के पद पर इनका चयन हुआ है।

पांचवें नंबर के निर्भय द्विवेदी अमेठी में नायब तहसीलदार हैं। सबसे छोटी बिटिया प्रिया द्विवेदी का भी चयन डिप्टी कमिश्नर के पद पर हो गया है। अब वंशराज के पांच बच्चे अधिकारी हैं, जो क्षेत्र के लिए भी गौरव का बात है।

सामाजिक गतिविधियों में भी लेते रहे हिस्सा:

वंशराज द्विवेदी बताते हैं कि सारे बच्चे पढ़ने के साथ-साथ सामाजिक गतिविधियों में भी हिस्सा लेते रहे । सब विद्या भारती के छात्र संसद के प्रधानमंत्री भी रहे। वहीं, निर्भय द्विवेदी विद्यार्थी परिषद के पदाधिकारी रहे हैं। मूलत: कृषि कार्य में रुचि रखने वाले वंशराज सफलता के पीछे समाज के सहयोग के साथ ही बच्चों की मेहनत को भी अहम वजह मानते हैं।

मां की डांट देती है अनुशासन की सीख:

बकौल वंशराज बड़ी बिटिया डा. प्रियंका द्विवेदी और बड़े बेटे रविशंकर द्विवेदी ने पूरे परिवार को सही दिशा देने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। वह बताते हैं कि घर पर जब बच्चे आते हैं तो वे परिवार के अनुशासन का पूरी तरह पालन करते हैं। मां की डांट आज भी इन सबको अनुशासन में रहने की सीख देती है।

परिवार के सबसे बड़े बेटे अजय वर्मा ने 2008 में UPSC परीक्षा पास कर भारतीय पुलिस सेवा (IPS) जॉइन की। उनकी छोटी बहन प्रतिभा वर्मा ने 2010 में UPSC परीक्षा में टॉप किया और आईएएस अधिकारी बनीं। इसके बाद उनके भाई विनय वर्मा ने 2012 में UPSC परीक्षा पास कर भारतीय राजस्व सेवा (IRS) जॉइन की।

इसके अलावा, परिवार की दो बेटियां, शिवानी वर्मा और मनीषा वर्मा ने भी 2016 और 2018 में क्रमशः UPSC परीक्षा पास की और आईएएस अधिकारी बनीं।

इस परिवार की सबसे छोटी बेटी अंकिता वर्मा अभी भी पढ़ाई कर रही है, लेकिन उसने भी UPSC परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी है।
इस परिवार की कहानी वाकई प्रेरणादायक है। यह दर्शाता है कि कड़ी मेहनत और लगन से सपने पूरे किए जा सकते हैं। श्री रामस्वरूप वर्मा और श्रीमती सीता वर्मा ने अपने बच्चों को जो संस्कार दिए, वे उनके लिए सफलता की कुंजी बने।

यह परिवार न सिर्फ़ सुलतानपुर, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन गया है।

इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है:

शिक्षा और मेहनत की शक्ति पर विश्वास रखें।
अपने सपनों को कभी मत छोड़ें।
कठिन परिस्थितियों में भी हार न मानें।
अपने माता-पिता का सम्मान करें और उनकी शिक्षाओं का पालन करें।