जैव विविधता हानि और जलवायु परिवर्तन पर एएमयू में वेबिनार का हुआ आयोजन
अलीगढ़:अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के वन्यजीव विज्ञान विभाग द्वारा ‘जैव विविधता हानि और जलवायु परिवर्तनः जुड़वां वैश्विक संकट’ विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।
मुख्य वक्ता, प्रसिद्ध पक्षी विज्ञानी डॉ. सलीम अली से प्रशिक्षित प्रमुख जैव विविधता विशेषज्ञ और इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर, यूएनडीपी, जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी के सलाहकार डॉ. एस. फैजी ने वैश्विक दक्षिण के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की। उन्होंने वैश्विक जैव विविधता फ्रेमवर्क 2022-2030 के लिए एक रणनीतिक योजना प्रस्तुत की और जैव-चोरी के मुद्दों और विकासशील देशों में गरीबी समाप्त करने और लोकतांत्रिक शासन के निर्माण के लिए यूएनडीपी के प्रयासों पर प्रकाश डाला।
एक अन्य मुख्य वक्ता, प्रोफेसर बी.एस. अधिकारी, प्रमुख, पारिस्थितिकी विकास योजना और भागीदारी प्रबंधन विभाग, भारतीय वन्यजीव संस्थान, ने जैव विविधता नुक्सान और भूमि उपयोग परिवर्तनों सहित पश्चिम हिमालय की जैव विविधता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर चर्चा की। उन्होंने प्रदूषण और मानवीय हस्तक्षेप के कारण बाण-गंगा आर्द्रभूमि पर गंभीर खतरों पर प्रकाश डाला, जिसके कारण बड़े पैमाने पर मछलियाँ मर गईं और पशुओं के चरने से वनस्पतियाँ नष्ट हो गईं।
प्रोफेसर अधिकारी ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) वैश्विक स्तर पर औषधीय पौधों की लगभग 50 हजार से 70 हजार प्रजातियों की रिपोर्ट करता है, जो कई एशियाई देशों के लिए आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।
जीवन विज्ञान संकाय के डीन प्रो. नफीस ए. खान ने समस्याओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने और व्यावहारिक समाधानों की पहचान करने के लिए विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं और चिकित्सकों के लिए एक मंच के रूप में वेबिनार के महत्व पर प्रकाश डाला।
वन्यजीव विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर सतीश कुमार ने जैव विविधता पर जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभाव और इन वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर चर्चा की।
इससे पूर्व, अतिथि वक्ताओं का स्वागत करते हुए, आयोजन सचिव डॉ. नाजनीन जे़हरा ने विषय का परिचय दिया और वेबिनार के दौरान चर्चा किए जाने वाले प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वेबिनार में श्रीलंका और चीन और पाकिस्तान सहित सहित दुनिया भर से छात्रों, शिक्षकों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों सहित 500 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।
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