एएमयू कुलपति ने दो पुस्तकों का किया विमोचन
अलीगढ़,अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. नईमा खातून ने अपने कार्यालय में आयोजित एक समारोह में “प्रोस्थेटिक रिहैबिलिटेशन ऑफ हेड एंड नेक कैंसर पेशेंट्स” और “खाद्य उद्योग में माइक्रोबियल जैव प्रौद्योगिकी” नामक पुस्तकों का विमोचन किया।
डॉ जेडए डेंटल कॉलेज के प्रोस्थोडोन्टिक्स विभाग के डॉ. पंकज प्रकाश खराड़े ने ‘प्रोस्थेटिक रिहैबिलिटेशन’ नमक पुस्तक का संपादन किया है। एल्सेवियर, यूएसए द्वारा प्रकाशित यह व्यापक मार्गदर्शिका सिर और गर्दन के कैंसर रोगियों के उपचार प्रक्रिया की गहन जानकारी प्रदान करती है, जिसमें लगभग 850 फोटो और चित्रण शामिल हैं। यह पुस्तक एक सहयोगात्मक प्रयास है, जिसमें टोलेडो विश्वविद्यालय (यूएसए), ओकायामा विश्वविद्यालय (जापान) और मैरीलैंड विश्वविद्यालय (यूएसए) के शिक्षाविदों का योगदान है।
डॉ. खराड़े, जिन्हें प्रोस्थेटिक रिहैबिलिटेशन में 15 वर्षों का अनुभव है, ने इन प्रतिष्ठित संस्थानों से मिले सहयोग और योगदान के लिए अपना आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर डेंटल कॉलेज और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष तथा पुस्तक के सह-लेखक डॉ. फहुद खुर्रम भी उपस्थित थे।
एक अन्य कार्यक्रम में प्रो. खातून ने “खाद्य उद्योग में माइक्रोबियल जैव प्रौद्योगिकी” नामक पुस्तक का विमोचन किया जिसे एएमयू के पोस्ट-हार्वेस्ट इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. फैजान अहमद और प्रो. सदफ जैदी द्वारा ह्यूस्टन, टेक्सास में एडवांस्ड हेल्थ एंड एजुकेशन सर्विसेज ऑर्गनाइजेशन की डॉ. जहरा एच. मोहम्मद और नॉर्थ कैरोलिना एएंडटी स्टेट यूनिवर्सिटी, यूएसए के फूड माइक्रोबायोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी लैबोरेटरी के प्रो. सलाम ए. इब्राहिम के सहयोग से संपादित किया गया है। यह पुस्तक खाद्य उद्योग में माइक्रोबियल जैव प्रौद्योगिकी की भूमिका पर एक अत्याधुनिक परिप्रेक्ष्य प्रदान करती है।
पुस्तक में माइक्रोबियल बायोफिल्म्स, खाद्य-संबंधी माइक्रोबियल एंजाइम, खाद्य उद्योग में माइक्रोबियल मुद्दों को कम करने में जैव प्रौद्योगिकी की भूमिका और खाद्य खराब होने को नियंत्रित करने के लिए माइक्रोब-मुक्त संपर्क सतहों के उपयोग जैसे महत्वपूर्ण विषयों को शामिल किया गया है।
डॉ. फैजान अहमद ने खाद्य क्षेत्र के शोधकर्ताओं, छात्रों और उद्योग के विशेषज्ञों के लिए पुस्तक की व्यावहारिक प्रासंगिकता पर जोर दिया, और बताया कि पुस्तक में दुनिया भर के प्रतिष्ठित विशेषज्ञों द्वारा योगदान किए गए 19 अध्याय शामिल हैं।
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