एएमयू में कृष्णा सोबती की शतवार्षिकी के मौके पर दो दिवसीय संगोष्ठी का किया जा रहा आयोजन

in #education6 months ago

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अलीगढ़: हिंदी की सुप्रसिद्ध लेखिका कृष्णा सोबती की शतवार्षिकी के अवसर पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय का हिंदी विभाग 9-10 मार्च को कला संकाय के सभागार में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें देश के अनेक जाने-माने विद्वान भाग लेंगे।

‘कृष्णा सोबती की सृजनात्मकता के विविध आयाम’ विषय पर आयोजित इस दो दिवसीय संगोष्ठी का उद्घाटन साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित उर्दू के नामचीन कथाकार सैयद मोहम्मद अशरफ करेंगे, जबकि बीज भाषण काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व प्रोफेसर तथा आर्ट्स संकाय के पूर्व डीन आचार्य कुमार पंकज प्रस्तुत करेंगे।

वहीं कई अकादमिक सत्रों में विभाजित इस संगोष्ठी में हिंदी विभाग, अमुवि के अध्यापकों के अतिरिक्त दिल्ली विश्वविद्यालय के निवर्तमान आचार्य और सुप्रसिद्ध आलोचक डॉ अजय तिवारी, प्रो आशुतोष कुमार, जामिया मिल्लिया इस्लामिया के प्रो नीरज कुमार, चैधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ के प्रो नवीनचंद्र लोहनी और अमुवि के प्रोफेसर मोहम्मद आसिम सिद्दीकी अपना व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे। अकादमिक सत्रों के अतिरिक्त उद्घाटन और समापन सत्र में अनेक महत्वपूर्ण व्याख्यान होंगे।

18 फरवरी, 1925 को अविभाजित हिंदुस्तान के पंजाब प्रांत के गुजरात शहर में पैदा हुई कृष्णा सोबती ने अपने लेखन से हिंदी के पाठकों को निज के प्रति सचेत और समाज के प्रति चैतन्य किया। 23 वर्ष की अवस्था से ही लेखन में सक्रिय रहीं कृष्णा सोबती ने विपुल रचनाएँ प्रस्तुत कीं। 1980 में उन्हें ‘जिंदगीनामाः जिंदा रुख़’ उपन्यास के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया और 1996 में साहित्य अकादमी फैलोशिप से नवाजा गया। साल 2017 में उन्हें साहित्य के सर्वोच्च सम्मान ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। कृष्णा जी की प्रमुख रचनाओं में ‘मित्रो मरजानी’, ‘डार से बिछुड़ी’, ‘ऐ लड़की’, ‘हम हशमत’, ‘जिंदगीनामा’, ‘बादलों के घेरे’ के अलावा उनकी दीगर रचनाओं पर भी इस दो दिवसीय आयोजन में विचार-विमर्श किया जायेगा।