डॉलर के मुक़ाबले गिरता रुपया, जानिए क्या है वजह

in #economics2 years ago

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रुपया लगातार नीचे गिरता जा रहा है. सप्ताहांत में रुपये की क़ीमत एक डॉलर के मुक़ाबले 79.79 हो गई, 80 के आँकड़े से बस कुछ पैसे दूर.

डॉलर के मुक़ाबले रुपए की गिरती क़ीमत को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है. कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल सरकार पर लगातार हमला बोल रहे हैं.

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी शुक्रवार को इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछ चुके हैं.

राहुल गांधी ने ट्विटर पर एक ग्राफ़ शेयर कर प्रधानमंत्री को उनका एक पुराना बयान याद दिलाया. ये बयान उस दौर का है, जब मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे.

राहुल गांधी ने लिखा, "देश निराशा की गर्त में डूबा है" ये आपके ही शब्द हैं ना, प्रधानमंत्री जी? उस वक़्त आप जितना शोर मचाते थे, आज रुपए की क़ीमत तेज़ी से गिरती देखकर उतने ही 'मौन' हैं."

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस दौर के बयान के वीडियो सोशल मीडिया पर भी वायरल हैं.

कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी सरकार पर हमला बोला और कहा, "यह स्वीकारना पड़ेगा कि कमज़ोर रुपए का सबसे बड़ा कारण एक ध्वस्त अर्थव्यवस्था-बेलगाम महंगाई है."
सरकार को भी शायद स्थिति का अंदाज़ा है. दो हफ़्ते पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था, "रिज़र्व बैंक की रुपये पर नज़र है. सरकार एक्सजेंच रेट को लेकर लगातार भारतीय रिज़र्व बैंक के संपर्क में है."

लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है? डॉलर के मुक़ाबले रुपया क्यों गिर रहा है और कौन से कारण रुपये की दर को तय करते हैं?

अभी अगर आपको एक डॉलर ख़रीदना है तो उसके बदले आपको 79 रुपये देने होंगे. इसको तकनीकी भाषा में एक्सचेंज रेट कहते हैं.

ऐसी ख़रीद-बिक्री रुपये-डॉलर के अलावा दूसरी करेंसियों के बीच भी होती है.

दुनिया के अलग-अलग मुल्कों की अपनी मुद्रा है. जैसे ब्रिटेन की मुद्रा है पाउंड, मलेशिया की रिंगिट. तो मान लिजिए किसी को ब्रिटेन से कुछ ख़रीदना है या व्यापार करना है या वहां की यात्रा करनी है तो उसके लिए उन्हें ब्रितानी मुद्रा यानी पाउंड की ज़रूरत पड़ेगी. उन्हें पाउंड ख़रीदना होगा.

वो व्यक्ति रुपये या किसी दूसरे देश की करेंसी के बदले जितनी क़ीमत चुकाकर पाउंड हासिल करेगा वो एक्सचेंज रेट होगा.

कैसे तय होती है मुद्रा की वैल्यू

मुद्रा या करेंसी का जहाँ लेन-देन होता है, उसे फ़ॉरेन एक्सचेंज मार्केट, या फिर मनी मार्केट कहते हैं.

एक्सचेंज रेट हमेशा एक सा नहीं रहता, उसमें बदलाव होता रहता है. कोई ज़रूरी नहीं कि पाउंड के बदले जितने रुपये 2022 जुलाई में देने पड़े, दिसंबर में भी पाउंड की क़ीमत रुपये के या किसी और मुद्रा के मुक़ाबले उतनी ही रहेगी.

ये कम भी हो सकती है और अधिक भी. ऐसा किसी करेंसी की मांग और सप्लाई पर निर्भर करता है.

जिस मुद्रा की मांग अधिक होगी उसकी क़ीमत अधिक रहेगी. अब चूंकि विश्व का बड़ा हिस्सा अपना व्यापार अमेरिकी मुद्रा 'डॉलर' में करता है इसलिए मुद्रा बाज़ार (मनी मार्किट) में डॉलर की मांग हमेशा बनी रहती है.

अब जब आपको या किसी भी उस व्यक्ति को जिसे किसी करेंसी की ज़रूरत है या उसे कोई मुद्रा बेचनी है तो वहां कहां जाएगा? - इसका जवाब है बैंक.