आर्थिक विकास

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IMG_20220324_101730.jpgआईसीआरए लिमिटेड में कॉरपोरेट रेटिंग के उपाध्यक्ष एवं सह-प्रमुख प्रशांत वशिष्ठ ने कहा, ब्रेंट क्रूड 119 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया है। नवंबर से क्रूड में 40% से ज्यादा तेजी आई है। उस समय वैश्विक बाजार में कच्चा तेल 81 डॉलर प्रति बैरल था। 7 मार्च को कच्चा तेल 14 साल के उच्च स्तर 139.13 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था।
विस्तार
कच्चे तेल में तेजी के बीच पिछले दो दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 1.60 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। रसोई गैस सिलिंडर (एलपीजी) के दाम भी बढ़े हैं। खुदरा ईंधन विक्रेता कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि आने वाले समय में पेट्रोल-डीजल एवं एलपीजी की कीमतों में और इजाफा होगा। इससे कुल मिलाकर महंगाई के और बढ़ने का खतरा उत्पन्न हो गया है।
क्रिसिल की प्रमुख अर्थशास्त्री दीप्ति देशपांडे ने कहा कि ईंधन की कीमतों में वृद्धि होनी ही थी। इससे महंगाई को लेकर चिंता बढ़ गई है। ईंधन की बढ़ती कीमतों से भारतीय परिवारों पर दबाव बढ़ सकता है। वस्तुओं और सेवाओं की मांग में कमी आ सकती है। तेज आर्थिक विकास के लिए ब्याज दरों को कम रखने की आरबीआई की प्रतिबद्धता पर भी दबाव पड़ेगा।

आईसीआरए लिमिटेड में कॉरपोरेट रेटिंग के उपाध्यक्ष एवं सह-प्रमुख प्रशांत वशिष्ठ ने कहा, ब्रेंट क्रूड 119 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर पहुंच गया है। नवंबर से क्रूड में 40% से ज्यादा तेजी आई है। उस समय वैश्विक बाजार में कच्चा तेल 81 डॉलर प्रति बैरल था। 7 मार्च को कच्चा तेल 14 साल के उच्च स्तर 139.13 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया था। ऐसे में घरेलू नुकसान की भरपाई के लिए ऑटो ईंधन यानी पेट्रोल-डीजल के दाम 18-19 रुपये प्रति लीटर बढ़ाने की जरूरत है।

अर्थव्यवस्था और भुगतान संतुलन पर गहरा असर
पंत ने कहा कि यह सबकुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि कच्चे तेल की कीमतों में किस तरह का उतार-चढ़ाव रहता है। अगर कीमतें इसी स्तर पर स्थिर रहती हैं तो अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा। हालांकि, प्रभाव इस बात पर भी निर्भर करेगा कि उपभोक्ताओं को कितनी ज्यादा पेट्रोल-डीजल की कीमतें चुकानी पड़ती हैं। इसके अलावा, आयात निर्भरता की वजह से भुगतान संतुलन पर भी भारी दबाव पड़ेगा।

ऐसे समझें तेल और महंगाई के बीच संबंध
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत ने कहा कि पूरे साल के लिए ईंधन की कीमतों में 10 फीसदी की बढ़ोतरी से खुदरा महंगाई 0.42 फीसदी और थोक महंगाई एक फीसदी तक बढ़ जाती है। क्रूड में मौजूदा तेजी न सिर्फ अर्थव्यवस्था पर महंगाई का दबाव बढ़ाएगी बल्कि निजी खपत पर भी इसका प्रभाव दिखेगा।