Durga Puja: मां की हुई विधिवत विदाई, महिलाओं ने खेली सिंदूर खेला

in #durga2 years ago

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हमारे देश की सबसे बड़ी खूबसूरती है विविधता में एकता। एक ही दिन को मनाने के तरीके भिन्न-भिन्न हैं। सांस्कृतिक पहचान एक ही है लेकिन अभिव्यक्त करने के ढंग अलग-अलग हैं। आज दशमी है, जहां उत्तर भारत में आज के दिन रावण दहन की परंपरा है तो वहीं पूर्वोत्तर में दुर्गापूजा के आखिरी दिन मां की विधिवत विदाई हुई।

आज के दिन दुनिया भर के बंगाली समूदाय की महिलाओं ने सिंदूर खेला खेली, वहीं आज भारत सहित पूरी दुनिया भर के नेपालियों ने दशमी में जमरा-टीका लगाया।

बंगाल सहित दुनिया भर में जहां-जहां भी बंगाली समुदाय के लोग रहते हैं, आज दुर्गा विसर्जन के दिन एक खास रस्म निभाते हैं, जिसे सिंदूर उत्सव या सिंदूर खेला कहते हैं। दुर्गा विसर्जन से पहले महिलाएं पान के पत्ते से मां के गालों को स्पर्श करती हैं, जिसके बाद मां दुर्गा की मांग में सिंदूर भरती हैं और माथे पर सिंदूर लगती हैं। इसके बाद मां दुर्गा को पान और मिठाई का भोग लगाया जाता है। विधि-विधान से मां की पूजा अर्चना कर सभी महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं और देवी दुर्गा से सुहाग की कामना करती हैं। इसके साथ लोग धुनुची नृत्य करते हैं।

इसी तरह से आज के दिन भारत सहित दुनिया भर में फैले नेपाली समुदाय के लोग टीका और जमरा लगाते हैं। नवरात्र में धान, गेहूं, जौ या मकई का (फसल बीजना) का जमरा लगाया जाता है। जैसे-जैसे दशमी नजदीक आती है, जमरा भी बढ़ते जाते हैं। कहते हैं कि जमरा के साथ माँ की शक्ति भी बढ़ती जाती है। दशमी के दिन सुबह-सुबह पंडालों में जाकर महिषासुर मर्दनी मां दुर्गा की पूजा की जाती है। वहां से फूल और प्रसाद प्रहण करने के बाद परिवार का मुखिया या सबसे बड़े अपने से छोटों को माथे पर टीका और कान पर जमरा लगाते हैं। टीका चावल और दही से बनाया जाता है, जिसमें लाल रंग मिलाया जाता है। टीका लगाते हुए बड़े लंबी उम्र और सौभाग्यशाली होने का आशीर्वाद देते हैं। यह कई जगह पूर्णिमा तक लगाते हैं।