बजे ढोल, उड़ा गुलाल, विदा हुए गौरी के लाले

in #drums2 days ago

बाराबंकी 17 सितम्बरः (डेस्क)फतेहपुर (बाराबंकी) में गणपति विसर्जन का उत्साह

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गणेश चतुर्थी का पर्व भक्ति और उल्लास से मनाया जाता है। गणपति बप्पा के 10 दिनों तक घर में पूजा अर्चना करने के बाद, अंतिम दिन उनकी विदाई का समय होता है, जिसे गणेश विसर्जन कहते हैं। हिंदू धर्म में गणेश विसर्जन का बहुत धार्मिक महत्व माना जाता है। मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के उत्सव पर गणपति बप्पा अपने भक्तों के घर आकर उनको आशीर्वाद देते हैं और फिर एक साल के लिए विदा हो जाते हैं।

इसी उत्साह के साथ, फतेहपुर (बाराबंकी) में गणपति विसर्जन का जश्न मनाया गया। नाचते-गाते भक्त गणपति बप्पा मोरया के जयकारे लगाते हुए विसर्जन के लिए पहुंचे। गुलाल उड़ाते जिधर से भी निकले, उनका स्वागत फूल बरसा कर किया गया। भक्तों ने उत्साह के साथ ढोल की थाम पर नाचते झूमते गौरी के लाल को निर्धारित कुंडों में विसर्जित कर विदा किया।

गणपति विसर्जन का शुभ मुहूर्त
इस साल गणेश विसर्जन 17 सितंबर दिन मंगलवार को है। उस दिन ही अनंत चतुर्दशी मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, अनंत चतुर्दशी के दिन के लिए आवश्यक भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तिथि 16 सितंबर सोमवार को दोपहर 3 बजकर 22 मिनट से शुरू होकर 17 सितंबर मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगी।

गणेश विसर्जन के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक है। इस बार गणेश विसर्जन के दिन भद्रा और पंचक भी है। भद्रा का साया पड़ने से विसर्जन के समय में कुछ बदलाव हो सकता है।

गणेश विसर्जन की विधि
विसर्जन के दौरान कुछ विशेष नियमों का पालन किया जाता है। गणपति बप्पा को जल में विसर्जित करके उनको खुशी और उल्लास से फिर से अगले साल आने के लिए विदा किया जाता है।

विसर्जन के समय गणेश मंत्र का जाप किया जाता है। गणेश मंत्र इस प्रकार है:

गणानां त्वा गणपतिं हवामहे
कविं कवीनामुपमश्रवस्तमम् |
ज्येष्ठराज भरज माम्यक्षरात्
प्रचोदयात्पुनः ||

इसके अलावा, गजेंद्र मोक्ष का पाठ करना भी अत्यंत लाभकारी माना गया है। अनंत चतुर्दशी के दिन सूत या रेशम के धागे को कुमकुम से रंगकर उसमें चौदह गांठे लगाई जाती हैं, जिसे दिव्य रक्षा सूत्र कहा जाता है।

गणेश विसर्जन का महत्व
गणेश विसर्जन हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो गणेश चतुर्थी के 10 दिनों के उत्सव के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन किया जाता है। इस दिन भक्त गणेश भगवान की मूर्तियों को जल में विसर्जित करके उनको विदा करते हैं।

विसर्जन के दौरान गणपति बप्पा को जल में विसर्जित करके उनको खुशी और उल्लास से फिर से अगले साल आने के लिए विदा किया जाता है। माना जाता है कि गणपति अपने साथ भक्तों के दुखों को लेकर जाते हैं और उनके जीवन को खुशहाली से भर देते हैं।

इस प्रकार, फतेहपुर (बाराबंकी) में गणपति विसर्जन का उत्सव धूमधाम से मनाया गया। भक्तों ने उत्साह के साथ गणेश भगवान की विदाई की और अगले साल उनके आगमन का इंतजार करने लगे।