बिना लक्ष्य के जीवन जीने वाले मनुष्य नर पशु के समान हैं -डा. श्याम सुंदर पाराशर

in #dr2 years ago

IMG-20221006-WA0029.jpg

चतुर्मास महायज्ञ : आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी पर संतों का दर्शन करने व कथा सुनने पहुंचे भक्तगण

बलिया। महर्षि भृगु के शिष्य दर-दर मुनि की तपोस्थली एवं ऋषि- मुनियों की धरती बलिया में बड़े दिनों बाद विश्व विख्यात संत महात्माओं आगमन हुआ है। शहर से सटे जनेश्वर मिश्रा सेतु के किनारे चल रहे श्री लक्ष्मी नारायण चतुर्मास महायज्ञ में गुरुवार को भक्तों का जनसमूह उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ को देखते हुए एप्रोच मार्ग पर वाहनों का आवागमन बंद करना पड़ा। यज्ञ स्थल पर विश्व शांति के लिए भक्तगण दिन में तीन- बार आहुतियां दे रहे हैं।
बता दें कि पंडाल में अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक डॉ० श्यामसुंदर पाराशर की भागवत कथा एवं श्रीकृष्ण ठाकुर की रामकथा सुनने के लिए श्रोताओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। बाहर से आए लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई है। आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी होने के कारण उपवास करने वाले भक्तों के लिए फलाहार की व्यवस्था भी यज्ञ समिति की ओर से की गई थी।
वृंदावन धाम से आए डॉ० श्याम सुंदर पाराशर ने भागवत कथा की शुरुआत "गोविंद हरे- गोपाल हरे, जय- जय प्रभु, दीनदयाल हरे.. से प्रारंभ किया।
उन्होंने कथा में कहा कि मनुष्य के जीवन का एक लक्ष्य होना चाहिए और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर मानव को प्रयास करना चाहिए। अन्यथा इस कलयुग में मनुष्य दिनभर परिश्रम करके धन कमाता है और उसे रात भर सोने अथवा अन्य कामों में बीता देता है। फिर दूसरे दिन काम में जुड़ जाता है। उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य तय नहीं किया है। जीवन का लक्ष्य निर्धारित करके मानव को उसी मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए। डॉ० पराशर जी ने कहा कि पशु-पक्षियों का जीवन भोग प्रधान होता है, लेकिन मनुष्य का जीवन केवल कमाने और भरण पोषण करने तक ही सीमित नहीं होना चाहिए। अगर मनुष्य बिना लक्ष्य का जीवन पर आगे बढ़ता है तो उसे नर पशु कहते हैं। नर पशु की तुलना उन्होंने जंगली जानवरों से किया, जिनका उद्देश्य केवल पेट भरने तक ही सीमित होता है। डॉ० पराशर जी ने कहा कि मनुष्य की बुद्धि पर ग्रहण करने वाली भोजन का बहुत प्रभाव होता है, इसलिए मनुष्य को हर जगह और हर प्रकार का भोजन नहीं करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अपने परिश्रम से धन कमाओ और उसे ठाकुर जी को अर्पित करके स्वयं पावो। इससे आपकी मन की बुद्धि, शुद्ध होगी और आपका जीवन सफल होगा। भगवान ने कहा है कि "बिनु सत्संग विवेक न होई.. इसलिए विवेक और बुद्धि को पवित्र करने के लिए सत्संग रूपी सरोवर में स्नान करते रहना चाहिए। ऐसा करने वाले मनुष्य का मन धीरे-धीरे गंगा जल की तरह निर्मल और पवित्र हो जाता है।
यज्ञ मंडप की परिक्रमा करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। परिक्रमा करने के लिए परिवेश में भारी असुविधा होने पर लोगों को घंटों अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा। उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से नर- नारियों की भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस को एप्रोच मार्ग पर वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध लगाना पड़ा। दुबहर के थानाध्यक्ष राजेश कुमार मिश्र ने बताया कि पुलिस की व्यवस्था यज्ञ स्थल और पंडाल स्थल पर की गई है। साथ ही जहां महिलाओं का प्रवास और भोजनालय है. वहां महिला पुलिस की भी ड्यूटी लगाई गई है। आवश्यकता पड़ने पर और बाहर से फोर्स मंगाई जा सकती है। इस मौके पर यज्ञ समिति के कोषाध्यक्ष पं० अश्वनी कुमार उपाध्याय, कमलेश सिंह, पं० श्रीधर चौबे, चीकू सिंह, संजय पांडे, पूर्व प्रधान चंद्रकुमार पाठक, गामा सिंह, रमेश पांडे, राकेश पांडे, अमन तिवारी, उदय नारायण सिंह, अमरेंद्र मिश्र, सनी सिंह, पिंटू जावेद, इंद्रजीत यादव, ध्रुव नारायण सिंह, राजनारायण पाठक, विनोद चौबे, हीरा गुप्ता, रविंद्र पाठक, शिवजी पांडे, राधाकृष्ण पाठक आदि मौजूद रहे।*बिना लक्ष्य के जीवन जीने वाले मनुष्य नर पशु के समान हैं -डा. श्याम सुंदर पाराशर

चतुर्मास महायज्ञ : आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी पर संतों का दर्शन करने व कथा सुनने पहुंचे भक्तगण

बलिया। महर्षि भृगु के शिष्य दर-दर मुनि की तपोस्थली एवं ऋषि- मुनियों की धरती बलिया में बड़े दिनों बाद विश्व विख्यात संत महात्माओं आगमन हुआ है। शहर से सटे जनेश्वर मिश्रा सेतु के किनारे चल रहे श्री लक्ष्मी नारायण चतुर्मास महायज्ञ में गुरुवार को भक्तों का जनसमूह उमड़ पड़ा। श्रद्धालुओं की अत्यधिक भीड़ को देखते हुए एप्रोच मार्ग पर वाहनों का आवागमन बंद करना पड़ा। यज्ञ स्थल पर विश्व शांति के लिए भक्तगण दिन में तीन- बार आहुतियां दे रहे हैं।
बता दें कि पंडाल में अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक डॉ० श्यामसुंदर पाराशर की भागवत कथा एवं श्रीकृष्ण ठाकुर की रामकथा सुनने के लिए श्रोताओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। बाहर से आए लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई है। आश्विन शुक्ल पक्ष की एकादशी होने के कारण उपवास करने वाले भक्तों के लिए फलाहार की व्यवस्था भी यज्ञ समिति की ओर से की गई थी।
वृंदावन धाम से आए डॉ० श्याम सुंदर पाराशर ने भागवत कथा की शुरुआत "गोविंद हरे- गोपाल हरे, जय- जय प्रभु, दीनदयाल हरे.. से प्रारंभ किया।
उन्होंने कथा में कहा कि मनुष्य के जीवन का एक लक्ष्य होना चाहिए और उस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर मानव को प्रयास करना चाहिए। अन्यथा इस कलयुग में मनुष्य दिनभर परिश्रम करके धन कमाता है और उसे रात भर सोने अथवा अन्य कामों में बीता देता है। फिर दूसरे दिन काम में जुड़ जाता है। उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य तय नहीं किया है। जीवन का लक्ष्य निर्धारित करके मानव को उसी मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए। डॉ० पराशर जी ने कहा कि पशु-पक्षियों का जीवन भोग प्रधान होता है, लेकिन मनुष्य का जीवन केवल कमाने और भरण पोषण करने तक ही सीमित नहीं होना चाहिए। अगर मनुष्य बिना लक्ष्य का जीवन पर आगे बढ़ता है तो उसे नर पशु कहते हैं। नर पशु की तुलना उन्होंने जंगली जानवरों से किया, जिनका उद्देश्य केवल पेट भरने तक ही सीमित होता है। डॉ० पराशर जी ने कहा कि मनुष्य की बुद्धि पर ग्रहण करने वाली भोजन का बहुत प्रभाव होता है, इसलिए मनुष्य को हर जगह और हर प्रकार का भोजन नहीं करना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अपने परिश्रम से धन कमाओ और उसे ठाकुर जी को अर्पित करके स्वयं पावो। इससे आपकी मन की बुद्धि, शुद्ध होगी और आपका जीवन सफल होगा। भगवान ने कहा है कि "बिनु सत्संग विवेक न होई.. इसलिए विवेक और बुद्धि को पवित्र करने के लिए सत्संग रूपी सरोवर में स्नान करते रहना चाहिए। ऐसा करने वाले मनुष्य का मन धीरे-धीरे गंगा जल की तरह निर्मल और पवित्र हो जाता है।
यज्ञ मंडप की परिक्रमा करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। परिक्रमा करने के लिए परिवेश में भारी असुविधा होने पर लोगों को घंटों अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा। उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड से नर- नारियों की भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस को एप्रोच मार्ग पर वाहनों के आवागमन पर प्रतिबंध लगाना पड़ा। दुबहर के थानाध्यक्ष राजेश कुमार मिश्र ने बताया कि पुलिस की व्यवस्था यज्ञ स्थल और पंडाल स्थल पर की गई है। साथ ही जहां महिलाओं का प्रवास और भोजनालय है. वहां महिला पुलिस की भी ड्यूटी लगाई गई है। आवश्यकता पड़ने पर और बाहर से फोर्स मंगाई जा सकती है। इस मौके पर यज्ञ समिति के कोषाध्यक्ष पं० अश्वनी कुमार उपाध्याय, कमलेश सिंह, पं० श्रीधर चौबे, चीकू सिंह, संजय पांडे, पूर्व प्रधान चंद्रकुमार पाठक, गामा सिंह, रमेश पांडे, राकेश पांडे, अमन तिवारी, उदय नारायण सिंह, अमरेंद्र मिश्र, सनी सिंह, पिंटू जावेद, इंद्रजीत यादव, ध्रुव नारायण सिंह, राजनारायण पाठक, विनोद चौबे, हीरा गुप्ता, रविंद्र पाठक, शिवजी पांडे, राधाकृष्ण पाठक आदि मौजूद रहे।