पशुओं में लम्पी स्किन बीमारी पॉक्स वायरस से बचाव हेतु कलेक्टर ने की अपील

in #dm2 years ago

अनूपपुर / प्रदेश के कुछ जिलो में पशुओं में लम्पी स्किन डिसीज पॉक्स वायरस द्वारा फैलने वाली संक्रामक बीमारी फैल रही है, यह बीमारी मच्छर काटने वाली मक्खी एवं ट्रिक्स आदि से एक पशु से दूसरे पशु में फैलती है इस रोग के शुरूआती लक्षण में हल्का बुखार दो से तीन दिन रहता है इसके बाद पूरे शरीर में गठाने निकल आती है यह गठाने गोल एवं उभरी होती है और जो चमड़ी के साथ-साथ मशल की गहरी तक जाती है इस बीमारी के लक्षण मुंह, गले एवं श्‍वासनली तक फैल जाते हैं साथ ही लिम्पमोड एवं पैरो में सूजन, दुग्ध उत्पादन में कमी, गर्भपात एवं बांझपन और कभी-कभी पशुओं की मृत्यु हो जाती है।

  कलेक्टर सुश्री सोनिया मीना ने जिले में पशुओं के सुरक्षा एवं बचाव के सभी उपाय अपनाने के निर्देश पशुपालकों को देते हुए कहा है कि इस बीमारी से पशुओं को बचाने के लिए सुरक्षा एवं उपाय के साथ-साथ जागरूकता की भी आवश्यकता है इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए। कलेक्टर ने कहा है कि लम्पी बीमारी के शुरूआती लक्षण दिखने पर पशु औषधालय को जानकारी दें तथा पशु चिकित्सक को दिखाएं।
   उन्होंने लम्पी स्किन बीमारी से पशुओं की सुरक्षा एवं बचाव के बारे में जानकारी देते हुए कहा है कि संक्रमित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखे, संक्रमित पशुओं को स्वस्थ पशुओं के झुंड में शामिल नहीं करना चाहिए, संक्रमित क्षेत्र में बीमारी फैलने वाली वेक्टर (मक्खी, मच्छर आदि) से रोकथाम हेतु आवश्यक कदम उठाना चाहिए, संक्रमित क्षेत्र से अन्य क्षेत्रों में पशुओं के आवागमन को प्रतिबंधित किया जाना चाहिए, संक्रमित क्षेत्र के बाहर में पशु बिक्री पशु, प्रदर्शनी पशु संबंधित सेल आदि पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, संक्रमित पशुओं से सैंपल लेते समय सभी सुरक्षात्मक उपाय पीपीई किट आदि का पालन, संक्रमित क्षेत्र के केंद्र बिंदु से 10 किलोमीटर की परिधि के क्षेत्र में पशु बिक्री बाजार पूर्णतः प्रतिबंधित, संक्रमित पशु क्षेत्र के घर आदि के जगहों में साफ-सफाई जीवाणु और विषाणु नाशक जैसे 20 प्रतिशत ईथर, क्लोरो फार्म, फार्मलिन, सोडियम हाइड्रोक्लोराइड 3 प्रतिषत, फिनायल 2 प्रतिषत आदि का उपयोग किया जाना चाहिए।
   उन्होंने कहा है कि लम्पी बीमारी के उपचार हेतु बुखार होने पर पेरासिटामॉल खिलाना चाहिए, स्किन पर एंटी सेफ्टी मलहम लगाना चाहिए, पशुओं को मल्टीविटामिन खिलाना चाहिए, संक्रमित पशु को पर्याप्त मात्रा में तरल खाना, हल्का एवं हरा चारा खिलाना चाहिए। कलेक्टर ने कहा है कि उक्त बीमारी से संक्रमित पषु को जैव सुरक्षा मानक के अनुसार डिस्पोज किया जाना चाहिए जिससे बीमारी का संक्रमण दूसरे पशुओं में न हो। कलेक्टर ने सभी पशुपालकों, इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिन्‍ट मीडिया, समाजसेवी एवं स्वयं सेवी संस्थाओं, जनप्रतिनिधियों, गौसेवकों सभी से अपील की है कि जिले में पशुओं में लम्पी बीमारी न फैलने पाए इसके लिए सभी अपना सहयोग एवं सहभागिता निभाएं।