अब ज़िला अस्पताल में इलाज हैं कराना, तो साथ में एंड्रायड मोबाइल लेकर आना : सीएमएस
झांसी। ऐ भइया, किसी के पास बड़ा वाला मोबाइल है का, हमाय पति को दिखाने उरई से जिला अस्पताल में आए हैं। यहाँ पर्चा नहीं बना रहे, बता रहे कि पहले बड़े वाले (एंड्रायड) मोबाइल से एप के जरिए कोई टोकन लाओ, फिर पर्चा बनाएंगे। भइया हमाय पति बहुत बीमार हैं, पूरा शरीर तप रहो हैं। कोई के पास मोबाइल होय तो पर्चा खिड़की में बैठे बाबू जो बता रहे हैं वो वाला टोकन दे दो, हमाय पास तो ई छोटा बटन वाला मोबाइल है। ये दृश्य ज़िला अस्पताल का हैं। जहां इन दिनों इस महिला की तरह कई तीमारदार और मरीज घंटों परेशान हो रहे हैं। इसका कारण भी सिर्फ एक ही है। असल में अस्पताल में घंटों लाइन में लगने के बाद मरीज जब पर्चा काउंटर पर पहुंचते हैं, तो यहां उनसे मोबाइल एप से जनरेट होने वाला एक टोकन नंबर मांगा जाता है। अब जिन मरीजों के पास टोकन नंबर नहीं होता या जो एप चलाना नहीं जानते या फिर जिनके पास एंड्रायड मोबाइल नहीं है, उनको यहां इलाज नहीं मिल पाता है। अस्पताल प्रशासन ने पर्चा बनवाने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था की है। इसके तहत मरीज को अस्पताल में पहुंचने के बाद अपने एंड्रायड मोबाइल में ड्राईफकेस नाम के एप को डाउनलोड करना होता है। इसके बाद मोबाइल में एप खोलकर मरीज का नाम, पता और बीमारी का विवरण दर्ज करना होता है। इस ऑनलाइन विवरण को दर्ज करने के बाद संबंधित व्यक्ति के मोबाइल पर एक टोकन नंबर जारी होता है। इसके बाद मरीज को अस्पताल की पंजीकरण खिड़की पर जाकर एक रुपया देकर वह टोकन नंबर दिखाना होता है। इसके बाद काउंटर से मरीज को पर्चा जारी किया जाता है। वहीं, ज़िला अस्पताल के सीएमएस डॉक्टर प्रमोद कटियार ने बताया कि ऑनलाइन प्रक्रिया से अस्पताल के पर्चा काउंटर पर काफी हद तक मरीजों की संख्या में कमी हुई है। जिन मरीजों के पास मोबाइल नहीं है, उनकी सुविधा के लिए हेल्प डेस्क बनवाई गई है। जहां कर्मचारी पर्चे बनाते हैं।
Good coverage
Thank You Sir...