रेवाटोला में 4 km और जैतपुरी के भरकुंडा में 3 km के रास्ते से निकलना दूभर,
2 पंचायतों के गांवों बरसात बनी चुनौती:
रेवाटोला में 4 km और जैतपुरी के भरकुंडा में 3 km के रास्ते से निकलना दूभर, बीमार होने पर खाट पर ले जाना मजबूरी
डिंडौरी जिला मुख्यालय से महज 4 km दूर ग्राम पंचायत हिनोता के गांव रेवाटोला में नेवसा नदी का पुल नहीं होने से ग्रामीण परेशान हो रहे हैं। यही नहीं सड़क कच्ची होने से यहां निवासरत करीब 60 रहवासियों को आवाजाही में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। स्थानीय युवक शुभम शुक्ला ने बताया कि लगभग 15 वर्षों से पुल की मांग की जा रही है लेकिन शासन कोई ध्यान नहीं दे रहा है। गांव में लोग बीमार होते है तो मोके पर उपचार न मिलना और पुल का न होने की वजह से समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं। इससे गांव में कुछ लोगों की मौत तक हो चुकी है। गांव की छात्राएं पुल न होने की वजह से अपनी पढ़ाई छोड़ने मजबूर हो रही है। वहीं, जब नेवसा नदी उफान पर रहती है तो कई दिनों तक विद्यार्थी स्कूल नहीं जा पाते हैं।
कई बार भेजा प्रस्ताव, नहीं हुआ स्वीकृत
जब हिनोता ग्राम पंचायत सचिव उमाकांत धूमकेती से रेवा टोला की समस्या के बारे में पूछा गया तो उनका कहना है कि ग्राम पंचायत से पुलिया बनाने के प्रस्ताव कई बार आरईएस विभाग भेजा है लेकिन अब तक स्वीकृति नहीं मिल पाई।
सड़क बनवाने का प्रयास करेंगे: भूपेंद्र मरावी
शहपुरा विधायक भूपेंद्र मरावी से अमरपुर जनपद पंचायत के जैतपुरी पंचायत के भरकुंडा की समस्या के बारे में पूछा गया तो उनका कहना है कि नई ग्राम पंचायत का गठन हो गया है। अब ग्राम पंचायत से सड़क के लिए प्रस्ताव बनवाकर अधिकारियों के पास भिजवाएंगे। सड़क बनवाने का प्रयास करेंगे।
जैतपुरी पंचायत के भरकुंडा में भी हालात खराब
3 किमी का सफर बन जाता है चुनौतीपूर्ण
इसी तरह के हालात अमरपुर जनपद पंचायत क्षेत्र के जैतपुरी ग्राम पंचायत के पोषक ग्राम वनग्राम भरकुंडा का है। यहां लगभग 20 से 25 परिवार निवास करते हैं। लेकिन सड़क न होने की वजह से आवाजाही मुश्किल हो जाती है। हालात तब और चुनौतीपूर्ण हो जाते हैं जब कोई गांव का व्यक्ति बीमार हो। ऐसे में ग्रामीण उसे कंधे लादकर या खाट पर लिटा कर अस्पताल पहुंचाते है। इस गांव का 12 अगस्त का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। जिसमें एक युवक राजुकमार मरावी अपनी बीमार पत्नी सोमा बाई पीठ पर लादकर इलाज के लिए अस्पताल ले जाते दिखाई दिया था। ग्रामीण कन्हैया लाल ने बताया कि लगभग 3 km जंगली रास्ते में पैदल चलने के बाद सड़क मिलती है।