मछ्ली से निर्मित मूल्यवर्धित उत्पाद को लोकप्रिय बनाने जन-जातीय मत्स्य पालको को प्रशिक्षण

in #dindori2 years ago

मछ्ली से निर्मित मूल्यवर्धित उत्पाद को लोकप्रिय बनाने के लिये जन-जातीय मत्स्य पालको को दिया गया प्रशिक्षण

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“मूल्यवर्धन” वर्तमान समय में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में काफी चर्चा का विषय बना हुआ है। मछली प्रसंस्करण उद्योग के द्वारा जहां काफी मात्रा में विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है वही दूसरी ओर मछली से निर्मित मूल्यवर्धित उत्पाद के द्वारा आजीविका एवं स्वरोजगार की काफी संभावनाएं हैं।
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मछलियों से निर्मित उत्पाद की लोकप्रियता द्वारा मछली पालको की आय बढ़ाई जा सकती है साथ ही साथ सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में भी कुपोषण जनित बीमारियो एवम समस्याओ पर लगाम लगाइ जा सकती है। इन्ही बातो को ध्यान में रखते हुए, भाकृअनुप - केंद्रीय मात्स्यिकी प्रौद्योगिकी संस्थान (ICAR-CIFT), कोचीन एवं जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (JNKVV), जबलपुर की प्रौद्योगिकी प्रचार सहयोगात्मक आदिवासी उप योजना परियोजना (Technology Dissemination Collaborative TSP project) के अंतर्गत डॉ दिनकर प्रसाद शर्मा, संचालक विस्तार सेवाएं, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के मार्गदर्शन में लघु मत्स्य प्रसंस्करण इकाई, कृषि विज्ञान केंद्र, डिंडोरी द्वारा तीन दिवसीय मत्स्य प्रसंस्करण एवं मूल्यवर्धन विषय पर दिनांक 26 से 28 मई 2022 के दौरान उधमिता विकास प्रशिक्षण का आयोजन किया गया ।
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कार्यक्रम का संचालन कृषि विज्ञान केंद्र, डिंडोरी के प्रभारी वरिष्ठ वैज्ञानिक एवम प्रमुख डा. पी. एल. अम्बुलकर के मछली से बने रेडी टू ईट उत्पाद हेतु आवश्यक निर्देश पर किया गया । इस कार्यक्रम में कीर्ती मछुआ सह्कारी समिति के सदस्यो के साथ मोह्दा गाव के 20 प्रशिक्षणार्थियों ने भाग लिया ।

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डॉ. सतेन्द्र कुमार, वैज्ञानिक (मात्स्यिकी) सह प्रौद्योगिकी प्रसार सहयोगात्मक आदिवासी उपयोजना परियोजना प्रभारी ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुये और अपने उद्घाटन उद्बोधन में मत्स्य प्रसंस्करण और मछ्ली से निर्मित मूल्यवर्धित उत्पाद की डिंडोरी जिले मे मांग व शम्भावना पर चर्चा की ।

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उन्होने बताया कि मछ्ली से निर्मित मूल्यवर्धित उत्पाद कुटीर उद्योग के रूप में ग्रामीण आजीविका एवं पोषण सुरक्षा मैं महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। श्री दिनेश कुमार झारिया, सहायक मत्स्य संचालक, डिंडोरी ने कार्यक्रम की काफी सराहना की और कहा कि ऐसे कार्यक्रम वृहत स्तर पर करने की जरुरत है ताकि मूल्यवर्धित मत्स्य उत्पाद के प्रति लोगो की जागरूकता और लोकप्रियता बढ़ाई जा सके ।

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कार्यक्रम के मुख्य प्रशिक्षक डॉ. सतेन्द्र कुमार ने प्रशिक्षणार्थियों को मछ्ली से निर्मित विभिन्न उत्पाद जैसे फिश कट्लेट, मछली का अचार, मत्स्य पापड़, मत्स्य पापडी, मत्स्य चकली, मत्स्य कटलेट और मत्स्य सेव बनाने की विधियां की जानकारी दी और प्रशिक्षणार्थियों ने समूह बनाकर उपरोक्त उत्पाद बनवाये । राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) से श्रीमती मीना परतें, जिला परियोजना प्रबंधक, डिंडोरी के निर्देश पर श्री राजेश पांडेय, विकासखंड प्रबंधक, अमरपुर और NRLM के यंग प्रोफेशनल अफसर खान व बुद्ध प्रिय ने प्रशिक्षणार्थियों मार्गदर्शन प्रदान किया । उन्होने प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षणार्थियों द्वारा तैयार की गई मछली का पापड, चकली, पापडी, सेव, अचार और अन्य सामग्रियों का अवलोकन किया तथा जानकारी ली । इस कार्यक्रम के दौरान वैज्ञानिक डॉ. शैलेंद्र सिंह गौतम, ग़ीता सिंह और मनीषा श्याम, श्रीमती रेनू पाठक, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी, श्री अ‍वधेश कुमार पटेल, सुश्री श्वेता मसराम, कार्यक्रम सहायक का योगदान सराहनीय रहा। कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यरत श्री के पी तिवारी चालक सह मैकेनिक ने कार्यक्रम की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।