Faridkot royal property: फरीदकोट के राजा की 20 हजार करोड़ की संपत्ति का मालिक कौन? 30 साल बाद फैसला

in #digras2 years ago

फरीदकोट एस्टेट के मालिकाना हक को लेकर चली आ रही लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। यह विवाद बीते 30 सालों से ज्यादा 20 हजार करोड़ की संपत्ति को लेकर चला आ रहा था। इस संपत्ति को पाने के लिए अलग-अलग पक्षों ने अपनी याचिका पंजाब हरियाणा की अदालतों में दायर की थी।
faridkot-estate-royal-battle-94066618.jpg
नई दिल्ली/बठिंडा: फरीदकोट एस्टेट को लेकर 30 सालों से भी लंबे समय से चली आ रही लड़ाई पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। यह विवाद लगभग 20,000 करोड़ रुपये की संपत्ति के असली हकदार को लेकर था। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाते हुए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने महाराजा हरिंदर सिंह बराड़ (Maharaja Harinder Singh Brar) की दो बेटियों अमृत कौर और दीपिंदर कौर के पक्ष में फैसला सुनाते हुे कहा कि जो ट्रस्ट, संपत्ति के मामलों का प्रबंधन कर रहा था, वह एक जाली वसीयत के आधार पर बनाया गया था। दरअसल फरीदकोट एस्टेट (Faridkot Estate) के हक के लिए जो याचिकाएं दायर की गई थीं, उन्हें खारिज कर दिया गया। वहीं ट्रस्ट को लेकर कहा गया है कि 'महरावल खेवाजी ट्रस्ट' 30 सितंबर तक बकाया मामलों को निपटाने के साथ ही धर्मार्थ अस्पताल चला सकता है। मुख्य न्यायाधीश यू यू ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने व्यापक रूप से सबूतों की जांच की। न्यायालयों के जरिए लिए गए सभी निष्कर्षों पर सुप्रीम कोर्ट पूरी तरह से सहमत है।

विवाद की जड़ थी तीसरी वसीयत, सुप्रीम कोर्ट ने बताया फर्जी
फरीदकोट एस्टेट पूरे विवाद में सबसे बड़ी हड्डी तीसरी वसीयत थी। इसको लेकर कथित तौर पर यह कहा जाता रहा कि साल 1982 में हरिंदर सिंह ने यह की थी। जिसके अनुसार पूरी संपत्ति "महरवाल खेवाजी ट्रस्ट" नामक एक ट्रस्ट को विरासत में मिलेगी। महाराजा की तीन बेटियां अमृत कौर, दीपिंदर कौर और महीपिंदर कौर हैं। साल 1989 में महाराजा की मृत्यु हो गई। इसके बाद परिवार के सदस्यों को उनकी कथित तीसरी वसीयत के बारे में पता चला। इस वसीयत के मुताबिक यह पहले की वसीयत को खासा बदल देती है।

Sort:  

You follow me i follow you