नवरात्र : माती में विराजीं हैं मातेश्वरी गूँगा देवी, पूरी कर रहीं भक्तों की मनोकामना

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download (5).jpegपीलीभीत (यूपी)। पूरनपुर से करीब 25 किमी दूर कुर्रैया क्षेत्र में माती गांव में मातेश्वरी गूंगा देवी का सुप्रसिद्ध मंदिर है। यहां हर रोज दर्शन पूजन करने सैकड़ों श्रद्धालु पहुंचते हैं। प्रत्येक अमावस्या को मंदिर पर मेला लगता है। आषाढ़ माह में शुभ दिनों में जातों का विशेष मेला भी लगता है। मां अपने भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी करती हैं। नवरात्र व्रतों के दौरान यहां भजन कीर्तन व कथा भागवत कथा का आयोजन भी होता है। यह मंदिर सदियों पुराना है। किवदंती है कि मातेश्वरी गूंगा देवी चक्रवर्ती सम्राट राजा वेणु की सबसे छोटी पुत्री थीं। सभी बहनें अन्यत्र चली गईं लेकिन मां गूंगा देवी ने पिता के शहर में रहना उचित समझा। मतंग नगरी से यह माती गांव में तब्दील हो गया। अंग्रेजों ने मान्यता देखकर यहां लगान माफ करते हुए माती के साथ माफी शब्द जोड़ दिया। यहां कोई बड़ा युद्व भी हुआ था जिससे पूरा शहर खेड़े में तब्दील हो गया। इसे खोदने पर ईंट, रोड़ा व हड्डियों का चूरा बहुतायत में निकलता है। लोगों को 14वीं सदी के शिलालेख, चांदी के सिक्के, हीरा व स्वर्ण आभूषण भी यहां मिले हैं। मनौती पूरी होने पर भक्तों ने यहां देवी मंदिर के अलावा कई मंदिर बनवाए। इनमें से कई मंदिर जीर्णशीर्ण हो गए हैं। मंदिर परिसर की जमीन पर कलियुगी भक्त कब्जा कर रहे हैं। लगभग 150 एकड़ में फैले मंदिर से जुड़े शाही सरोवर भुगनई ताल की भी मान्यता है। नवरात्र के समापन पर कन्याभोज व भंडारे भी होते हैं। इस समय दर्शन पूजन को भक्तो का रैला उमड़ रहा है। पुजारी सचिन गिरि बताते हैं कि सच्चे मन से जो कोई कुछ मांगता है मां उसे निराश नहीं करतीं। इस बार नवरात्र में यहां देवी देवताओं की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम भी रखा गया है। पूर्व मंत्री डॉक्टर विनोद तिवारी ने यहां सीसी रोड, यात्री शेड, स्वागत द्वार, भुगनई ताल तक खड़ंजा सहित काफ़ी काम कराए हैं। अब विधायक बाबूराम पासवान व ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि आशुतोष दीक्षित राजू ने भी यहां काफ़ी कुछ कराने का संकल्प लिया है।