बैजनाथ महादेव मंदिर में समारोह पूर्वक आज होगा बापजी की प्रतिमा का अभिषेक पूजन

in #dharmik2 years ago

जिला आगर मालवा

पुराणों मे धार्मिक ग्रंथों मान्यताओं मे तो वह में ऐसी कई कहानियां मिलती है जिंदगी में कहा जाता है
कि अपने भक्तों की रक्षा के लिए भगवान अलग-अलग रूप अलग अलग धारक करके धरती पर आ जाते हैं तो क्या कभी आपने सुना है कि भक्तों की भक्ति में बांदा ना आए हैं
इसीलिए भगवान ने भक्तों का रूप धारण कर उसका काम पूरा किया हम आपको बता दें कि हम आपको जो कहानी सुनाने जा रहे हैं उसमें दावा इसी बात का है कि ना तो सिर्फ भगवान खुद उसके रूप में आए अदालत में आए और पैरवी भी की और सबूत छोड़कर गए

फिल्म सिन
यह फिल्मी हो सकता है कि इस की कल्पना में डूबकर किसी लिखी गई है कि मध्य प्रदेश के
आगर मालवा का एक ऐसा किस्सा है जो फिल्मी नहीं है पर हकीकत है

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बापजी के रूप में न्यायालय पहुंचे थे स्वयंं भगवान

आगर मालवा- के इतिहास में दर्ज और पुरानी मान्यतानुसार मालव विभूति एवं सद्गुरूदेव नित्यानंदजी बापजी के परम् शिष्य श्री जयनारायण बापजी उपाध्याय का जन्म २३ मार्च १८९६ में नाना बाजार आगर में बलदेवजी उपाध्याय के यहां हुआ था। आप प्रार भ से ही आध्यात्मिक साधना एवं साहित्य रचना में रत रहते थे। आपका विवाह सन १९११ में शाजापुर निवासी भीकमजी भट्ट की पुत्री कलावतीदेवी से हुआ था। आप पेशे से अभिभाषक थे। बैजनाथ महादेव के अनन्य भक्त होने के कारण आप प्रतिदिन दर्शनार्थ मंदिर जाया करते थे। इसी दौरान जुलाई माह सन १९३१ में एक दिन आप मंदिर में भगवान का ध्यान लगाए बैठे थे।
लेकिन न्यायालय में आपका एक महत्वपूर्ण प्रकरण भी चल रहा था। आप इतने ध्यान में लीन हो गए की आपका ध्यान दोपहर तीन बजे टुट पाया। आप घबराएं और तुरंत अपने साथी गोपाल मंदिर के पुजारी पं. नानुराम दुबे एवं अध्यापक रेवाशंकरजी के साथ न्यायालय पहुंचे। लेकिन जैसे ही आप न्यायालय पहुंचे आपके साथी वकील आपको बधाई देने लगे। और कहने लगे आपका मुवक्किल बाईज्जत बरी हो गया। लेकिन जब उन्होंने कहा की में तो अभी अभी बैजनाथ मंदिर से आ रहा हु। तब तात्कलीन न्यायाधीश जिनकी कोर्ट में प्रकरण चल रहा था। न्यायाधीश मोलवी मुबारक हसन ने प्रोसीडिंग पर उनके हस्ताक्षर दिखाएं। और कहा की मजक तो आप कर रहे है। आप तो समय पर कोर्ट में आए थे और पेरवी करते हुए अपनी जोरदार दलीलों से अपने पक्षकार को बरी करवाया और इसी दिन आपने एक अन्य प्रकरण की तारीख भी नोट की। तभी बापजी अच िभत हो गए और उन्हेंं समझते देर ना लगी की साक्षात् बैजनाथ महादेव भगवान ही उनका रूप धारण किए कोर्ट में पधारे थे। तभी से आप धार स्थित घोसवास पहुंचकर वहां नित्यानंद जी बापजी की शरण में चले गए। और २६ अक्टु बर १९४५ को आपने ने वहां महासमाधि ले ली। तभी से आप छोटे बापजी के नाम से प्रसिद्ध हुए।
वर्तमान में अनेक स्थानों पर नित्यानंद अश्रमों में आपकी प्रतिमा की हजारों भक्त सेवा भाव से पूजा अर्चना करते है। यह आगर के इतिहास में भी दर्ज है! बाबा बैजनाथ की कहानी अभी खत्म नहीं हुई हमने आपको उस मंदिर का निर्माण किसने कराया अभी अद्भुत कल अपनी निशान है!

कभी आपने सुना होगा की एक अंग्रेज भगवान शिव का मंदिर बनवाया

1879 में स्वयं महादेव ने बचाई थी इस अँगरेज़ अफसर की जान, अफसर ने करवाया था महादेव के मंदिर का नवीनीकरण

महादेव जैसा दयालु इस पुरे ब्रम्हाण्ड में कोई नहीं| आज एक ऐसी सत्य कहानी बताने जा रहा हूँ, जो अँगरेज़ शाशन के समय की है| इस कहानी को एक अँगरेज़ अफसर ने अपनी किताब में लिखा है| पूरी कहानी जानने के बाद आपको यकीन हो जाएगा की भक्ति में बहुत शक्ति होती है और सच्चे मन से महादेव को याद किया जाए तो महादेव जरुर आते हैं|

सन 1879 में भारत पर अंग्रेजो की हुकूमत थी| बहुत से अँगरेज़ अपने पुरे परिवार सहित भारत में ही रहते थे| ऐसा ही एक परिवार था Lt. कर्नल मार्टिन का, यह एक नया शादीशुदा जोड़ा था| कर्नल मार्टिन और उनकी पत्नी मध्य प्रदेश के आगर मालवा में रहते थे| आगर मालवा में महादेव का कई वर्ष पुराना बैजनाथ मंदिर था, उस मंदिर में कर्नल मार्टिन की पत्नी कभी गयी नहीं थी लेकिन मंदिर के बहार से निकलते वक़्त मंत्रों की ध्वनि उन्हें बहुत अच्छी लगती थी|

एक दिन कर्नल मार्टिन को युद्ध लड़ने के लिए अफ़ग़ानिस्तान जाना पड़ा|

भयानक युद्ध

कर्नल मार्टिन अफ़ग़ानिस्तान में युद्ध के दौरान अपनी सेना का नेतृत्व कर रहे थे| युद्ध काफी दिन चला और मार्टिन अफ़ग़ानिस्तान से अपनी पत्नी को चिट्ठी भेजा करते थे| अपने पति की चिट्ठी देख वो भी निश्चिन्त हो जाती थी| लेकिन कुछ दिनों बाद चिट्ठी आना बंद हो गयी| कर्नल मार्टिन की पत्नी बहुत परेशान हुई, उनके मन में बुरे ख्याल आने लगे| उनको लगने लगा की कहीं कोई अहित न हो गया हो|

व्याकुल अवस्था में कर्नल मार्टिन की पत्नी एक दिन रस्ते में पड़ने वाले महादेव के बैजनाथ मंदिर में गईं| उन्हें यह तो पता था की यह किसी भगवान का मंदिर है, लेकिन हिन्दू धर्म के बारे में और भगवान शिव के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता था| कर्नल मार्टिन की पत्नी ने पुजारी जी से अपनी परेशानी का कारण बताया| पुजारी जी ने उनसे कहा की यह मंदिर कालों के काल महाकाल का है, इस संसार में सिर्फ यही हैं जो आपके पति को बचा सकते हैं|

लघुरुद्रा अनुष्ठान:

पुजारी जी ने कर्नल की पत्नी को ॐ नमः शिवाय मंत्र दिया और कहा इस मंत्र को 11 दिनों तक जपना और हर रोज़ मंदिर आना, यह लघुरुद्रा अनुष्ठान है| कर्नल की पत्नी हर रोज़ महादेव के बैजनाथ मंदिर आती और वहीँ बैठ कर मंत्र का जाप करती रहती और भगवान् शिव से अपने पति की रक्षा करने का वरदान मांगती रहती| हर रोज़ मंदिर जाने से कर्नल की पत्नी भगवान् शिव के बारे में बहुत कुछ जान गयीं और उनकी भक्ति में लीन हो गईं| इसी बीच कर्नल की पत्नी ने यह संकल्प लिया की अगर उनके पति सही सलामत लौट आते हैं तो, वो मंदिर का नवीनीकरण करवा देंगी|
जाने कैसे बचाया भगवान् शिव ने कर्नल मार्टिन को|

पत्नी की शिव भक्ति

कर्नल की पत्नी ने 11 दिनों तक भगवान शिव की पूजा की और ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप भी किया| बहुत दिनों से कर्नल मार्टिन के ख़त नहीं आ रहे थे, लेकिन 11 दिनों का अनुष्ठान ख़तम होते ही 11वें दिन कर्नल मार्टिन का ख़त आया| ख़त देखकर उनकी पत्नी की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा| ख़त आने का यह मतलब था की उनके पति जिंदा है| और जब उन्होंने उस ख़त को पढ़ा तो फूट-फूट कर रोने लगी और उनके होश उड़ चुके थे| उस ख़त में कर्नल मार्टिन ने वह बात लिखी थी जो उनके साथ अफ़ग़ानिस्तान में युद्ध के दौरान हुई थी| यह कोई साधारण घटना नहीं एक अलौकिक घटना थी| जाने क्या लिखा था उस ख़त में|

कर्नल मार्टिन ने उस ख़त में लिखा था की:

“मैं तुम्हे हर रोज़ ख़त लिखता था लेकिन एक दिन अचानक हमारी सेना को पठान मुस्लिमों ने चरों ओर से घेर लिया था| इस कारण वश ये सभी ख़त मैं भेज नहीं पाया| हम इतनी बुरी तरह घिर चुके थे की हमारा जिंदा बच निकलना नामुमकिन था|

लेकिन एक दिन एक भारतीय योगियों की तरह दिखने वाला एक साधू हमारे पास आया, उसके हाँथ में एक त्रिशूल था और लम्बे-लम्बे बाल थे, उसने शेर की खाल अपने शारीर में लपेट राखी थी| वह बहुत ही शक्तिशाली था और उसने अपने त्रिशूल को इतनी तेज़ी से चलाना चालू किया की सभी पठान डर कर पीछे हटने लगे|

आज हम जिंदा हैं तो उसे योगी के कारण जो शेर की खाल पहने हुए था और त्रिशूल लिए हुआ था|”

जब सभी पठान वहां से चले गए तब उस योगी ने मुझसे कहा की “तुम्हे डरने की जरुरत नहीं मै तुम्हे बचने आया हूँ, मैं तुम्हारी पत्नी की पूजा से प्रसन्न हूँ| तुम्हे शुरक्षित घर पहुचाना अब मेरी ज़िम्मेदारी है|”

बैजनाथ मंदिर का नवीनीकरण करवाया

अफ़ग़ानिस्तान से लौटने के बाद जब कर्नल मार्टिन और उनकी पत्नी भगवान शिव के बैजनाथ मंदिर (आगर मालवा मध्य प्रदेश) में आशीर्वाद लेने गए, तब मार्टिन को भगवान शिव की फोटो देख कर पूरा यकीन हो गया की अफ़ग़ानिस्तान वाले योगी इन्ही के समान हैं| इस घटना के बाद कर्नल मार्टिन और उनकी पत्नी पक्के शिव भक्त बन गए| सन 1883 में कर्नल मार्टिन ने 15000 रूपए मंदिर का नवीनीकरण करने के लिए दान दीए थे| आज भी मंदिर में कर्नल मार्टिन और उनकी पत्नी का नाम स्मृति चिन्ह के रूप में है| मध्य भारत में सिर्फ यह एक ऐसा मदिर है जिसका नवीनीकरण एक अँगरेज़