सती ने श्री राम की परीक्षा लेने के लिए माता सीता का रूप धारण किया

in #dharam2 years ago

IMG-20221013-WA0006.jpg
गोरखपुर। पिपराइच क्षेत्र के ग्राम मठिया में आयोजित श्री श्री रुद्र महायज्ञ एवं कथा के पांचवे दिन मानस मर्मज्ञ पंडित प्रदीप सागर जी महाराज ने माता सती के जीवन की सुंदर व्याख्या की।
मानस मर्मज्ञ प्रदीप सागर जी महाराज ने उपस्थित श्रद्धालुओं को बताया कि भगवान शिव के बार-बार मना करने के बाद भी माता सती ने श्री राम की परीक्षा लेने के लिए माता सीता का रूप धारण किया जिसका परिणाम उन्हें अंततः देह त्याग कर भुगतना पड़ा। इसलिए पति के आदेश का पालन अवश्य करना चाहिए। मानस मर्मज्ञ ने कहा कि "सती मरत तन हरि वर मांगा,जनम जनम शिव पद अनुरागा"अर्थात माता सती ने देह त्याग करते समय भगवान से आग्रह किया कि हे ईश्वर जब भी धरती पर मेरा अवतार हो मैं भगवान शंकर की अर्धांगिनी के रूप में ही अवतरित हूं। परिणाम स्वरूप माता सती का पार्वती के रूप में राजा हिमांचल के घर अवतार हुआ। राजा हिमांचल और भगवान नारद के बीच हुए संवाद का वाचन करते हुए मानस मर्मज्ञ ने बताया कि एक बार भगवान नारद राजा हिमांचल के दरबार में पहुंचे तो उत्सुकता वश राजा हिमांचल में भगवान नारद से पूछा कि मेरी पुत्री पार्वती का विवाह किससे होगा तो भगवान नारद ने बताया कि आप की पुत्री सर्वगुण संपन्न है परंतु इसमें छः अवगुण भी है। पूछने पर भगवान नारद ने कहा कि इनका विवाह योगी स्वरूप एक ऐसे व्यक्ति से होगा, जो सभी प्रकार की मोह माया उसे दूर होगा। इस अवसर पर आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं ग्राम प्रधान चंद्रिका सिंह, बलिराम यादव, श्रवण सिंह, मंटू यादव, सुनील सिंह रामनारायण मल्ल, दुर्ग विजय यादव, धरणीधर पांडेय, गिरधारी पांडेय, घनश्याम गौड़, संजय गुप्ता, जय प्रकाश सिंह, रामसमुझ सिंह, नागेंद्र मल्ल, लक्ष्मी नारायण सिंह, राम भजन निषाद, रामाशीष निषाद, विपिन निषाद, प्रहलाद निषाद, रणविजय यादव, रमेश चौधरी, अखिलेश सैनी,फतिंगी प्रजापति, आलोक पांडेय, विशाल चौधरी, अविनाश चौधरी, मोती चंद यादव, राजकुमार निषाद, हरिवंश शर्मा, अशोक सिंह सहित बड़ी संख्या स्थानीय लोगों ने सहयोग किया।