विभागीय अधिकारी नहीं रोक पा रहे नरवाई जलाने की प्रक्रिया

in #departmental8 months ago

• धान कटाई अंतिम चरण में

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मंडला:- जिले में धान एवं गेहूँ मुख्य फसल के रूप में ली जा रही है। उक्त फसलों की कटाई मुख्य रूप से कम्बाइंड हार्वेस्टर के माध्यम से जिले के कई क्षेत्रों में की जाती है। कटाई के बाद कुछ किसान फसलों की नरवाई में आग लगा देते है। जिससे आगजनी की घटनाएं भी सामने आती है। नरवाई जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति में भी कमी आती है। इसके साथ ही पर्यावरण भी गंभीर रूप से प्रभावित होता है। सेटेलाईट मेपिंग में विगत वर्षों में धान एवं गेंहूँ की फसलों की कटाई के बाद मंडला जिले में नरवाई जलाने की सैकड़ों घटनाएं घटी है।

जानकारी अनुसार विगत वर्ष किसान कल्याण व कृषि विकास विभाग द्वारा राष्ट्रीय फसल अवशेष प्रबंधन नीति 2014 के अंतर्गत तत्कालीन कलेक्टर मंडला की अध्यक्षता में जिला स्तरीय फसल अवशेष प्रबंधन समिति का गठन किया गया था। जिसमें कहां गया था कि फसलों की कटाई में उपयोग किये जाने वाले कंबाईन हार्वेस्टर के साथ स्ट्रा मैनेजमेण्ट सिस्टम के उपयोग को अनिवार्य किया जाना आवश्यक है। बता दे कि रबी सीजन में गेंहू की नरवाई से कृषक भूसा प्राप्त कर सकते है, कृषकों की मांग को देखते हुए स्ट्रा मैनेजमेण्ट सिस्टम के स्थान पर स्ट्रा रीपर के उपयोग को अनिवार्य करने के निर्देश दिए गए थे। जिसमें कहां गया था कि कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ एसएमएस व स्ट्रा रीपर में से कोई भी एक मशीन साथ में रहना अनिवार्य रहेगा।

बता दे कि जिले में खरीफ फसल की कटाई का कार्य अंतिम चरण में चल रहा है। प्रायः यह देखा जाता है कि किसान फसल काटने के बाद आगामी फसल के लिए खेत तैयार करने और अपनी सुविधा के लिए खेत में आग लगाकर तने के डंठल व फसल के अवशेष को नष्ट कर देते हैं जबकि नरवाई जलाने से विभिन्न तरह के नुकसान होने की परिस्थिति निर्मित होती है। वहीं जिले भर में खरीफ की फसल पक कर तैयार है। धान की कटाई जोरों पर चल रही है। इसके साथ ही किसानों द्वारा अपने अपने खेतों में धान की नरवाई भी जलाई जा रही है। मंडला से जबलपुर मार्ग, मंडला से बिछिया मार्ग, पिंडरई मार्ग होते हुए नैनपुर जाने वाले मार्ग में किसानों के खेतों की नरवाई दूर दूर तक जली नजर आ रही है।

• सांस के मरीजों का सबसे ज्यादा परेशानी :

किसान अपने खेतों में धड़ल्ले से पराली जला रहे हैं। इन्हें न तो प्रशासन की कार्रवाई का डर है और न ही कोर्ट के आदेश की परवाह। ऐसे में नरवाई जलाने के कारण प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है। नरवाई जलाने के दौरान उठने वाले धुएं के फैलाव से लोगों को सांस लेने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। जिन गांवों में बुजुर्ग व दमा के मरीजों है उन्हें सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ता है। इन दिनों नरवाई जलाने से लगातार फसलों पर भी खतरा मंडरा रहा है जो खेत में पक कर तैयार हैं और जिनकी अब तक कटाई नहीं की गई है। यदि आगजनी की घटना हो जाए तो किसानों को आर्थिक क्षति होने की आशंका बनी रहती है।

• नहीं हो रही कार्रवाई :

विगत कुछ वर्षों में कुछ किसानों द्वारा नरवाई जलाकर छोड़ देने से अन्य किसानों की फसलें प्रभावित हो गई हैं व आगजनी से फसल के साथ ही कृषि उपकरण, मवेशियों का चारा समेत अन्य सामान जलने से किसान भयभीत नजर आ रहे हैं। ऐसी स्थिति में नरवाई जलाकर छोडने वालों पर कार्रवाई की भी मांग उठ रही है। नरवाई जलाने के दौरान आग फैलने से होने वाली क्षति पर कार्रवाई का प्रावधान है, लेकिन प्रशासन एवं पुलिस द्वारा ऐसे किसानों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिससे कई लोग धड़ल्ले से नरवाई जला रहे हैं। जिसके कारण दूसरे लोग आर्थिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं।

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