इंसान बहुत बड़ा स्वार्थी जीव है, वो अपने सुख दुःख को भी भाग्य से जोड़कर देखता है,
News ki taquat
इंसान बहुत बड़ा स्वार्थी जीव है,
वो अपने सुख दुःख को भी भाग्य से जोड़कर देखता है, जबकि हमारे जीवन में घटित होने वाली हर घटना हमारे पूर्व किए गए कर्मों का ही लेखा जोखा होता है।
कलयुग का जीवट सत्य ये है की जो हमारी आशाओं के अनुकूल होता है तो हम खुद को भाग्यशाली समझने लगते हैं और आशाओं के विपरित होता है तो खुद के दुर्भाग्य से जोड़ने लगते हैं।
सबकुछ हमारी मनःस्थिति पर आधारित है,
कुछ इंसान दुःखी होते हैं कि मुझे ये प्राणघातक बीमारी हो गई है, मेरी मृत्यु निश्चित है, मेरे बाद मेरे बच्चों का क्या होगा।
तो कुछ खुश होते हैं की मेरी आत्मा को पुराने चोले से छुटकारा मिलेगा, मैं नया शरीर धारण करूँगा।
क्या किसी ने ये सोचा है कि आप जब नहीं थे तो ये संसार जब भी चल रहा था,
जब हम नहीं होंगे तब भी चलेगा, बाकी सभी हमारे मन की परिकल्पना है।
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खुश रहिए खुशहाल रहिए
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