कुछ परिजन चंदा जुटाकर एंबुलेंस से ले गए शव, बाकी रहे नाकाम

in #delhi2 years ago

जान तो गई, पर पैसे बिना शव कैसे जाए कुछ परिजन चंदा जुटाकर एंबुलेंस से ले गए शव, बाकी रहे नाकामnavbharat-times.jpg

अलीपुर के वकौली गांव में शुक्रवार को दीवार गिरने से जिन पांच मजदूरों की मौत हुई थी उनका शनिवार दोपहर जहांगीरपुरी स्थित वावू जगजीवन राम अस्पताल में पोस्टमॉर्टम किया गया। अस्पताल के बाहर भारी संख्या में गमगीन परिजन सुध-बुध खो रहे थे। वड़े हादसे के वावजूद प्रशासन की तरफ से न तो कोई ढाढस वांधने आया और न अभी तक किसी आर्थिक मदद की पेशकश की गई।

मारे गए सभी मजदूर यहां दो वक्त की रोटी के लिए दिहाड़ी करते थे। हालत यह है कि परिजन अपनों के शव को उत्तर प्रदेश और झारखंड स्थित अपने पैतृक गांव ले जाने के लिए लोगों से चंदा इकट्ठा करने पर मजबूर हो गए। अस्पताल से शव ले जाने के

हादसे में मारे गए मजदूरों के बेसहारा हो गए परिजनों का रो-रो कर था बुरा हाल

लिए परिजनों के पास एंवुलेंस तक का खर्चा नहीं था। ऐसे में कोई 500 तो कोई 1000 रुपये अपने दोस्तों-रिश्तेदारों से इकट्ठा करके बड़ी मशक्कत से

एंबुलेंस का किराया जुटाकर शव ले गए। इस दौरान कई परिजन एंबुलेंस कर्मियों से किराया कम करने की गुहार भी लगाते रहे।

मृतक प्रमोद (32) के रिश्तेदार रोहित ने वताया कि प्रमोद 15 दिन पहले ही रोजी-रोटी की तलाश में • यूपी के हरदोई जिले से यहां आए थे। वह अलीपुर के वुद्धपुर इलाके में ही किराए के एक मकान में रहते थे। उनके 4 छोटे बच्चे हैं। इन 15 दिनों में उनके परिवार के पास शायद इतने पैसे भी इकट्ठे नहीं हुए कि वह प्रमोद का अंतिम संस्कार तक कर सकें। रिश्तेदारों की मदद हम उसे अलीपुर के श्मशान घाट में दाह संस्कार के लिए ले जा रहे हैं। परिवार के लोगों की मांग थी कि हम उन्हें अपने पैतृक गांव ले जाएं, लेकिन इतने पैसे इकट्ठे नहीं हो सके।

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Bahut dukhad ghatna, bhagwan unki aatma ko shanti de