वित्त आयोग के गठन के मामले में सफ़ेद झूठ फैला रही है केजरीवाल सरकार : विजेंद्र

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27 जुलाई, नई दिल्ली: दिल्ली प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व विधायक विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि वित्त आयोग के गठन के मामले में आम आदमी पार्टी झूठ फैला रही है।
गुप्ता ने जानकारी दी कि दिल्ली वित्त आयोग अधिनियम 1994 की धारा 3(2) के अनुसार “अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति मंत्री परिषद की सिफ़ारिश पर उपराज्यपाल के लिखित आदेशों द्वारा होगी।”
गुप्ता ने कहा कि जब मंत्री परिषद में इस संदर्भ में कभी कोई सिफ़ारिश ही नहीं की तो किसी भी तरह के गठन का सवाल ही पैदा नहीं होता।

गुप्ता ने केजरीवाल सरकार के संवैधानिक संकट पर ग़ैर ज़िम्मेदाराना रवैये की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि ‘आप सरकार’ एक तरफ़ संविधान का उल्लंघन कर रही है वहीं दूसरी तरफ़ झूठ बोलकर अनैतिकता का परिचय दे रही है।

विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि मंगलवार को भाजपा अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा के नेतृत्व में भाजपा विधायकों का प्रतिनिधि मंडल उपराज्यपाल से मिलकर केजरीवाल सरकार द्वारा की गई संविधान की हत्या के मामले में इस सरकार को बर्खास्त करने की माँग करेगा।

विजेन्द्र गुप्ता ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय में केजरीवाल सरकार के छठे वित्त आयोग के गठन ना किये जाने के खिलाफ याचिका दायर की जायेगी।

गुप्ता ने आम आदमी पार्टी द्वारा की गई संविधान की हत्या की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि केजरीवाल सरकार ने अप्रैल 2021 से लंबित छठे दिल्ली वित्त आयोग (डीएफसी) का गठन नहीं किया है।

गुप्ता ने बताया कि पाँचवें दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशें केवल मार्च 2021 तक लागू थीं। तब से, दिल्ली सरकार द्वारा कोई नई सिफारिशें जारी नहीं की गई हैं। इसके परिणामस्वरूप, सरकार अभी भी नगर निगम को पाँचवें डीएफसी की पुरानी सिफारिशों के आधार पर धन प्रदान कर रही है, जो ग़ैर संवैधानिक है और दिल्लीवासियों के प्रति सरासर नाइंसाफी है।

गुप्ता ने बताया कि पाँचवें दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिश के आधार पर फंड दिए जाने की प्रथा न केवल असंवैधानिक है अपितु अपर्याप्त भी है, क्योंकि पाँचवें दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिश 3 विभाजित नगर निगमों के लिये थी जो वर्तमान एकीकृत दिल्ली नगर निगम की परिस्थितियों से पूरी तरह भिन्न है।

गुप्ता ने कहा कि यह अराजकता की स्थिति आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की अक्षमता को दर्शाती है। पहले, AAP सरकार ने दिल्ली नगर निगम (MCD) को वित्तीय कुप्रबंधन के लिए दोषी ठहराया और इसे वित्तीय संकट का कारण बताया। हाल ही में, केजरीवाल सरकार ने बिना किसी ठोस आधार के केंद्र सरकार पर दोषारोपण किया, जबकि केंद्र सरकार का नगर निगमों से सीधा लेन-देन का कोई प्रावधान ही नहीं है।

गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार ने 2015 चौथे दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया था लेकिन उन्हें लागू नहीं किया, और तीसरे डीएफसी की सिफारिश के आधार पर धन आवंटन जारी रखा। यह भी AAP सरकार द्वारा किया गया एक स्पष्ट संवैधानिक उल्लंघन था।