छठे वित्त आयोग को लेकर विजेंद्र ने एलजी से की हस्तक्षेप की मांग
24 जुलाई, नई दिल्ली : दिल्ली प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष एवं रोहिणी के वर्तमान विधायक विजेंद्र गुप्ता ने छठे दिल्ली वित्त आयोग का गठन न होने पर दिल्ली सरकार के संविधान उल्लंघन के खिलाफ एलजी से हस्तक्षेप की मांग की।
विजेंद्र गुप्ता ने उपराज्यपाल को एक पत्र लिखकर दिल्ली सरकार द्वारा किए जा रहे एक महत्वपूर्ण संवैधानिक उल्लंघन में हस्तक्षेप की मांग की है। अप्रैल 2021 से लंबित होने के बावजूद छठे दिल्ली वित्त आयोग (डीएफसी) का गठन नहीं किया गया है।
गुप्ता ने कहा कि पांचवें दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशें केवल मार्च 2021 तक लागू थीं। तब से, दिल्ली सरकार द्वारा कोई नई सिफारिशें जारी नहीं की गई हैं। इसके परिणामस्वरूप, सरकार अभी भी नगर निगम को पांचवें डीएफसी की पुरानी सिफारिशों के आधार पर धन प्रदान कर रही है। जो ग़ैर संवैधानिक है और दिल्ली वासियों के प्रति सरासर नाइंसाफी है।
गुप्ता ने लिखा कि पांचवे दिल्ली वित्त आयोग की सिफ़ारिश के आधार पर फंड दिए जाने की प्रथा न केवल असंवैधानिक है अपितु अपर्याप्त भी है।क्योंकि पाँचवे दिल्ली वित आयोग की सिफ़ारिश 3 विभाजित नगर निगमों के लिये थी जो वर्तमान एकीकृत दिल्ली नगर निगम की परिस्थितियों से पूरी तरह भिन्न है।
गुप्ता ने कहा कि यह अराजकता की स्थिति आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की अक्षमता को दर्शाती है। पहले, AAP सरकार ने दिल्ली नगर निगम (MCD) को वित्तीय कुप्रबंधन के लिए दोषी ठहराया और इसे वित्तीय संकट का कारण बताया। हाल ही में, केजरीवाल सरकार ने बिना किसी ठोस आधार के केंद्र सरकार पर दोषारोपण किया, जबकि केंद्र सरकार का नगर निगमों से सीधा लेन देन का कोई प्रावधान ही नहीं है।
गुप्ता ने कहा कि दिल्ली सरकार ने चौथे दिल्ली वित्त आयोग की सिफारिशों को पूरी तरह स्वीकार कर लिया था लेकिन उन्हें लागू नहीं किया।और तीसरे डीएफसी की सिफारिश के आधार पर धन आवंटन जारी रखा। यह भी AAP सरकार द्वारा किया गया एक स्पष्ट संवैधानिक उल्लंघन था।
इसके अलावा, केजरीवाल सरकार, जिसे अप्रैल 2021 से छठे डीएफसी की सिफारिशों के अनुसार धन उपलब्ध कराना था,लेकिन संवैधानिक ज़िम्मेदारी को निभाने के बजाय शराब घोटाले में व्यस्त हो गये।
विजेंद्र गुप्ता ने इस मामले में उपराज्यपाल के हस्तक्षेप की मांग की है ताकि दिल्ली सरकार के इन संवैधानिक उल्लंघनों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जा सके।