स्वतंत्रता सेनानी बनने पर 3 महीने के लिए भेजे गए जेल।

in #delhi2 years ago

तीसरी कहानी जो आप पढ़ेंगे, वो है सुबोध मुखर्जी की... वही सुबोध जिन्हें शम्मी कपूर और देव आनंद को कामयाबी दिलाने का क्रेडिट दिया जाता है। इनकी दूसरी पहचान है कि ये पॉपुलर फिल्ममेकर शशधर मुखर्जी के भाई हैं। बचपन से फिल्में बनाने का शौक रखने वाले सुबोध अपने सपनों को पूरा करने नहीं, बल्कि मजबूरी में मुंबई पहुंचे, लेकिन टैलेंट के दम पर इन्होंने नामी फिल्ममेकर्स में अपना नाम जोड़ लिया। चलिए तीसरी और आखिरी कहानी शुरू करते हैं…….

14 अप्रैल 1921 को सुबोध का जन्म झांसी में हुआ। पढ़ाई में अव्वल और टेनिस में इनका कोई तोड़ नहीं। टेनिस का शौक पूरा करने के लिए सुबोध झांसी से लखनऊ आ गए। यहां आजादी की लड़ाई लड़ रहे लोगों के बीच उठना-बैठना शुरू किया और खुद भी स्वतंत्रता सेनानी बन गए। 1942 में अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई तो इन्हें जेल भेज दिया गया। तीन महीने तक अंग्रेजों ने इन्हें जेल में रखा। जब घर खर्च चलाने का कोई जरिया नहीं बचा तो सुबोध मुंबई पहुंच गए, जहां इनके बड़े भाई शशधर मुखर्जी फिल्मिस्तान स्टूडियो का हिस्सा थे। सुबोध भी फिल्में बनाने लगे।

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