रमाकांत यादव से जेल में क्यों मिले अखिलेश, आजम से क्यों नहीं मिले थे?

in #delhi2 years ago

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लोकसभा उपचुनाव में मिली हार के बाद पहली बार समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव सोमवार को आजमगढ़ पहुंचे।

यहां उन्होंने इटौरा जेल में बंद समाजवादी पार्टी विधायक रमाकांत यादव से मुलाकात की। जेल से निकलने के बाद अखिलेश भारतीय जनता पार्टी पर जमकर बरसे। कहा कि भाजपा सरकार विपक्षियों को परेशान करने का काम कर रही है। फर्जी मुकदमों में नेताओं को जेल भेजा जा रहा है।

अखिलेश के बयान से ज्यादा उनके जेल जाकर रमाकांत यादव से मिलने की चर्चा हो रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि करीब दो साल तक जेल में बंद रहे सपा के कद्दावर नेता आजम खान से मिलने अखिलेश नहीं गए थे। वह भी तब जब आजम की तबियत भी बीच में कई बार खराब हुई।

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर दो साल में एक बार भी आजम से न मिलने वाले अखिलेश रमाकांत यादव से मिलने जेल क्यों पहुंच गए? क्या अखिलेश पर कोई दबाव है या फिर जाति को देखकर अखिलेश ने ये फैसला लिया है? आइए समझते हैं...

रमाकांत यादव से अखिलेश की मुलाकात करीब आंधे घंटे चली। जेल के बाहर आए तो भाजपा पर जमकर बरसे। अखिलेश यादव ने कहा, 'भाजपा सरकार विपक्षियों को परेशान करने का काम कर रही है। फर्जी मुकदमों में नेताओं को जेल भेजा जा रहा है। आजमगढ़ हो या रामपुर दोनों जगह पर विपक्षी दलों के नेताओं को फर्जी मुकदमों में जेल की सलाखों के पीछे भेजा गया। एक तो छूट कर वापस आ गए और दूसरे भी जल्द आ जाएंगे। 2024 के चुनाव में आजमगढ़ की जनता एक बार फिर सूद के साथ समाजवादियों को वोट करेगी।'

सपा मुखिया ने आगे कहा, 'भाजपा सरकार अभी से 2024 की तैयारी में जुट गई है। इसके तहत ही विपक्षी दलों के नेताओं को परेशान किया जा रहा है। महंगाई-बेरोजगारी की तरफ से जनता का ध्यान हटाने और विपक्षी दलों के आंदोलन पर लगाम लगाने को लेकर फर्जी मुकदमे दर्ज करने की कवायद पूरे प्रदेश में चल रही है। यह सरकार किसी पर भी फर्जी मुकदमा दर्ज करा सकती है। दिल्ली में मनीष सिसोदिया के शिक्षा को लेकर किए कार्यो की जहां अमेरिकी अखबार तारीफ कर रहे हैं तो वहीं, उन्हीं मनीष सिसोदिया के खिलाफ भाजपा की पुलिस पीछे पड़ गई और फर्जी मुकदमे में फंसाने का कुचक्र शुरू कर दिया।'

हमने ये समझने के लिए वरिष्ठ पत्रकार अंबरीश यादव से बात की। उन्होंने इसकी तीन वजह बताई...

  1. आजम मामले से मिली सीख: अंबरीश कहते हैं, 'आजम खान दो साल तक जेल में रहे और अखिलेश यादव एक बार भी उनसे मिलने नहीं पहुंचे। इस साल विधानसभा चुनाव और फिर उपचुनाव में ये मुद्दा बना। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने सपा मुखिया अखिलेश यादव पर सवाल भी उठाए। आरोप लगाया कि अखिलेश मुसलमानों को केवल वोटबैंक मानते हैं। यही कारण है कि वह आजम खान से मिलने जेल नहीं गए। इसने अखिलेश की छवि को काफी नुकसान पहुंचाया। बड़ी संख्या में मुसलमान नेताओं ने पार्टी का साथ भी छोड़ दिया। आजम खान के मामले में अखिलेश ने जो गलती की थी, अब उसे वह दोहराना नहीं चाहते हैं। 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं और इसके पहले वह अपने नेताओं को नाराज नहीं करना चाहते हैं। यही कारण है कि रमाकांत यादव से मिलने वह तुरंत जेल पहुंच गए। हालांकि, अब इसपर भी कहा जा रहा है कि रमाकांत से अखिलेश इसलिए मिले क्योंकि वह यादव हैं। अखिलेश पर अब जातिवादी होने का आरोप लग रहा है।'

अंबरीश बताते हैं कि रमाकांत यादव चार बार आजमगढ़ से सांसद और दो बार विधायक रह चुके हैं। पूर्वांचल में उनका दबदबा है। ऐसे में अखिलेश नहीं चाहते हैं कि उनके नेता उनसे नाराज हों। इस बार विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ की सभी दस सीटों पर समाजवादी पार्टी की जीत हुई थी। इसमें रमाकांत यादव की भूमिका काफी अहम मानी जाती है।

विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद से समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता मुश्किल में हैं। ज्यादातर नेताओं और कार्यकर्ताओं पर पहले से कई मुकदमे चल रहे हैं। अब उनपर लगातार पुलिस की कार्रवाई हो रही है। बतौर पार्टी मुखिया अखिलेश नहीं चाहते कि उनके नेता और कार्यकर्ता हिम्मत हार जाएं। इसलिए वह रमाकांत यादव से मुलाकात करके एक संदेश देना चाहते हैं कि वह अपने सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ खड़े हैं। ताकि सभी का हौसला बना रहे।

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