छोटी सी गलती पाकिस्तान पर पड़ी भारी, भारत के हाथों मिली कभी न भूलने वाली हार

in #delhi2 years ago

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आज से 23 साल पहले यानि 26 जुलाई 1999 को भारत की बहादुर सेना ने पाकिस्तानी सेना को हराकर कारगिल युद्ध में जीत हासिल की थी। इसलिए इस दिन को हर साल कारगिल विजय दिवस के रुप में मनाया जाता है। इस दिन उन वीर जवानों को भी याद किया जाता है जिन्होंने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। 2 महीने तक चलने वाले दुनिया के सबसे मुश्किल युद्धों में से एक कारगिल युद्ध में देश ने अपने 527 पराक्रमी सैनिकों को खोया दिया था वहीं 1300 से अधिक सैनिक घायल हुए थे।

जब एक गलती से हो गया था पाकिस्तान प्लान फेल

पाकिस्तानी सेना गुपचुप तरीके से भारत के कारगिल की पहाड़ियों पर जाकर बैठ गया था उसका प्लान नेशनल हाईवे 1 डी पर कब्जा करना था। इस पर कब्जा कर वह उस रसद को रोकना चाहता था, जो लद्दाख होते हुए सियाचीन जाता था, जहां भारतीय सैनिक विपरीत मौसम में सीमा की रखवाली में तैनात रहते हैं। सियाचीन की लाइफ लाइन कहे जाने वाले इस हाईवे को अपने नियंत्रण में लेकर पाकिस्तानी सेना भारत को सियाचीन छोड़ने पर मजबूर करना चाहते थे। उनका मुख्य प्लान भारत से सियाचीन को अलग-थलग कर उस पर कब्जा करना था।

पाकिस्तानी सेना का यह प्लान इतने खुफिया तरीके से बनाया गया था कि इसकी भनक न भारतीय सेना को लगी थी और न ही खुफिया एजेंसियों को। आपको जानकर हैरानी होगी कि पाकिस्तान की प्लानिंग का खुलासा कुछ भारतीय चरवाहों की वजह से हुआ था। दरअसल, पाकिस्तानी सेना के कुछ सैनिक गुपचुप तरीके से कारगिल की आजम चौकी पर अपना कब्जा जमा कर बैठी थी।

इस चौकी से थोड़ी ही दूरी पर कुछ भारतीय चरवाहे अपने मवेशियों को चराने आए थे। जब पाकिस्तान के सैनिकों की नजर उन चरवाहों पर पड़ी तो उन्होंने उन्हें बंदी बनाने की सोची, लेकिन राशन कम होने के कारण पाकिस्तानी सैनिकों ने चारवाहों को बंदी बनाने का अपना इरादा बदल दिया। उनके ऐसा करने की पीछे की सोच यह थी कि अगर चरवाहों को बंदी बना लिया तो वह उनके पास मौजूद राशन खा लेंगे जो कि सीमित मात्रा में मौजूद था।

पाकिस्तानी सैनिकों की यही गलती उन पर भारी पड़ी और बाद में उनके सियाचीन पर कब्जा करने के खुफिया प्लान की पोल खुलने का वजह बनी। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, उन भारतीय चरवाहों ने पाकिस्तानी सेना के भारतीय इलाके में होने की बात भारतीय सैनिकों को बता दी। कुछ समय बाद वह 6-7 भारतीय सैनिकों के साथ वहां वापस लौटे। भारतीय सैनिकों ने दूरबीन से इलाके का मुआयना किया और वापस लौट गए। इसके बाद दोपहर करीब दो बजे वहां भारतीय सेना हेलीकॉप्टर लामा वहां उड़ता हुआ आया।

जिससे इस बात की पुष्टि हुई कि पाकिस्तानी सैनिकों ने कारगिल की पहाड़ियों पर कब्जा जमा लिया है। इस तरह पाकिस्तान सैनिकों द्वारा उन चरवाहों को बंदी न बनाने का निर्णय उनके लिए खतरनाक साबित हुआ और उनके सियाचीन पर कब्जा करने के खुफिया प्लान धरा का धरा रह गया।

बता दें कि यह पहला मौका था जब भारतीय सेना को पाकिस्तानियों के द्वारा भारतीय इलाके में कब्जा करने की भनक लगी थी। यहीं से कारगिल के ऐतिहासिक युद्ध की शुरुआत हुई थी, जिसमें भारतीय सेना के रणवांकुरों ने पाकिस्तानियों को हमारी जमीन से खदेड़कर कभी न भूलने वाली करारी शिकस्त दी।