Delhi News : 100 साल पुरानी तकनीक का इस्तेमाल कर कटने से बचाया मरीज का पैर

in #delhi2 years ago

Delhi News : सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुए 40 साल के मरीज पर जब नई तकनीक काम नहीं आ रही थी और डॉक्टरों को लगा कि अब पैर काटना ही पड़ेगा। ऐसे में 100 साल पुरानी क्रॉस-लैग फ्लैप सर्जरी तकनीक का इस्तेमाल कर डॉक्टरों ने मरीज का पैर कटने से बचा लिया।
pexels-pixabay-40568.jpg
विस्तार

सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हुए 40 साल के मरीज पर जब नई तकनीक काम नहीं आ रही थी और डॉक्टरों को लगा कि अब पैर काटना ही पड़ेगा। ऐसे में 100 साल पुरानी क्रॉस-लैग फ्लैप सर्जरी तकनीक का इस्तेमाल कर डॉक्टरों ने मरीज का पैर कटने से बचा लिया।

इस सर्जरी से पहले मरीज की पिछले आठ महीनों में तीन बार सर्जरी हो चुकी थी जो असफल रही थीं। इसके बाद मरीज को दिल्ली के एक निजी अस्पताल में लाया गया। यहां जांच के दौरान पाया गया कि बाएं घुटने का जोड़ अपने मूल स्थान से काफी हटा हुआ है और उसमें गंभीर संक्रमण के बाद मवाद भी बह रही थी।

ऑर्थोपिडिक्स एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के डॉ धनंजय गुप्ता और प्लास्टिक एंड रीकंस्ट्रक्टिव सर्जरी की डॉक्टर डॉ रश्मि तनेजा की टीम ने मरीज की जांच की। इस जांच से पता चला कि मरीज के प्रभावित पांव में कई चोटों के बाद कोई भी रक्तवाहिका बाकी नहीं बची थी, जो आधुनिक रूप से की जाने वाले रीकंस्ट्रक्टिव सर्जरी के लिए जरूरी है। ऐसे में डॉक्टरों ने क्रॉस-लैग फ्लैप सर्जरी का फैसला लिया।

इस तकनीक का मेडिकल साहित्य में पहली बार 1854 उल्लेख मिलता है। आमतौर पर, फ्लैप सर्जरी में डोनर साइट से टिश्यू को निकाला जाता है और उसे रेसिपिएंट साइट पर लगाया जाता है जहां ब्लड सप्लाई बरकरार होती है। उस जमाने में पांव में सॉफ्ट टिश्यू के विकारों को दूर करने के लिए रीकंसट्रक्शन ही गोल्ड स्टैंडर्ड था। लेकिन आगे चलकर अत्याधुनिक माइक्रोवास्क्युलर तकनीकों का चलन बढ़ने लगा और डॉक्टरों ने पुराने तकनीक को भुला दिया।

डॉ धनंजय गुप्ता ने कहा कि हमने काफी सोच-विचार के बाद, इस जटिल प्रक्रिया को अपनाने का फैसला किया जिसमें कई चरणों में सर्जरी की जाती है। उनका इलाज पांच सप्ताह चला और नतीजे संतोषजनक रहे हैं। फिलहाल, मरीज को पैर को सॉफ्ट टिश्यू से कवर किया गया और किसी किस्म का इंफेक्शन नहीं हुआ है।