ज्ञानवापी केस में सुनवाई शुरू मुस्लिम पक्ष ने याचिका दायर कर विष्णु जैन को हटाने की मांग की

in #delhi2 years ago

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ज्ञानवापी मस्जिद केस में जिला जज ए.के. विश्वेश की कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. आज हिंदू पक्ष अपनी दलीलें रख रहा है. इससे पहले मंगलवार को मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलीलों को पूरा कर लिया था.इसके बाद हिंदू पक्ष ने दलीलें रखी थीं. उधर, सुनवाई से पहले मुस्लिम पक्ष ने नई याचिका दाखिल की है. इसमें वकील विष्णु जैन को हटाने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि विष्णु जैन वादी और प्रतिवादी दोनों पक्षों से केस लड़ रहे हैं.

मुस्लिम पक्ष की तरफ से लगाई गई याचिका पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि तकनीकी आधार पर की याचिका खारिज हो जाएगी. उन्होंने कहा, वे सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार को रिप्रेजेंट करते हैं. लेकिन यहां हिंदू पक्ष की तरफ से बहस कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि यूपी सरकार की तरफ से उन्होंने वकालतनामा दाखिल नहीं किया. इतना ही नहीं विष्णु शंकर जैन ने कहा, ऐसे में मामले में यूपी सरकार सिर्फ एक फॉर्मल पार्टी है. अयोध्या मामले में भी ऐसा था, जो तमाम आदेशों के लागू करने को सुनिश्चित करती है.

'ध्यान भटकाने की है साजिश'

विष्णु जैन ने कहा, उनके ऊपर साजिश के तहत आरोप लगाए जा रहे हैं. ये बड़ी साजिश है, ताकि मूल मुद्दे से ध्यान भटकाया जाए. लेकिन ये कोर्ट में नहीं चलेगा. तकनीकी आधार पर मुस्लिम पक्ष की याचिका कोर्ट में खड़ी नहीं हो सकती. इस पर वे कल ही यूपी सरकार की एनओसी वह कोर्ट में दाखिल कर चुके हैं.

आज कोर्ट में फिर सुनवाई

ज्ञानवापी मस्जिद मामले में जिला जज ए.के. विश्वेश की अदालत में आज फिर सुनवाई चल रही है. कल की सुनवाई में मुस्लिम पक्ष की ओर से 1991 वरशिप एक्ट और 1936 के दीन मोहम्मद केस का हवाला देते हुए उनके वकील अभय यादव ने कल कोर्ट में अपना पक्ष रखा था. इसके बाद हिंदू पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील विष्णु जैन ने कल अपनी बात कोर्ट में रखी थी. आज फिर 2 बजे से सुनवाई होगी. इस दौरान हिंदू पक्ष अपनी दलीलें देगा.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला कोर्ट में यह सुनवाई चल रही है. मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलीलों में कहा कि हिंदू पक्ष का मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है और उसे खारिज कर दिया जाए. मुस्लिम पक्ष ने कहा कि ज्ञानवापी मामले में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट (स्पेशल प्रॉविजंस), 1991 लागू होता है. मतलब 1947 में आजादी के समय धार्मिक स्थलों की जो स्थिति थी, उसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है. वहीं, इस पर हिंदू पक्ष ने कहा कि माज पढ़ने से कोई जगह मस्जिद नहीं हो जाती.