कैंसर का सौ फीसदी कारगर इलाज मिलने की बात कितनी सही है?

in #delhi2 years ago (edited)

अमेरिका में रेक्टल कैंसर से पीड़ित 18 मरीजों पर डॉस्टरलिमैब दवा का ट्रायल किया गया है, जिसमें वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इस दवा से कैंसर का ट्यूमर छह महीने में ही खत्म हो गया है.

कैंसर का सौ फीसदी कारगर इलाज मिलने की बात कितनी सही है?

1655530293258.jpg
रेक्टल कैंसर को मलद्वार का कैंसर भी कहा जाता है

हाल ही में न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में एक रिसर्च प्रकाशित की गई है. जिसमें कैंसर का इलाज़ (Cancer Treatment) मिलने का दावा किया है. इस रिसर्च में वैज्ञानिकों ने रेक्टल कैंसर के 18 मरीजों पर डॉस्टरलिमैब (Dostarlimab) दवा का ट्रायल किया है. जिसके आधार पर कहा गया है कि इस दवा से महज 6 महीने में ही कैंसर कारक ट्यूमर (Cancer Tumour) पूरी तरह से खत्म हो गया है. रिसर्च में शामिल वैज्ञानिकों का कहना है कि ट्रायल के बाद जब मरीजों का एंडोस्कोपी , PET Scan और एमआरआई किया गया तो ट्यूमर नहीं मिला है. जबकि इससे पहले ये सभी लोग कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरेपी और सर्जरी भी करा चुके थे. लेकिन इन्हे कुछ खास फायदा नहीं हुआ था. डॉस्टरलिमैब दवा से सभी मरीजों का ट्यूमर पूरी तरह खत्म हो गया.

स्टडी के लेखर डॉ. लुइस डियाज का कहना है कि डॉस्टरलिमैब ऐसी दवा है, जिससे कैंसर का सफाया हो गया है. ऐसा इतिहास में पहली बार हुआ है जब कोई दवा कैंसर पर इतनी प्रभावी साबित हुई है . इस दवा के कोई साइड इफेक्टस भी नहीं देखे गए हैं.ये स्टडी कैंसर के इलाज में एक बड़़ी कामयाबी है.इस रिसर्च के प्रकाशित होने के बाद कई लोगों को लग रहा है कि कैंसर का इलाज़ मिल गया है, लेकिन क्या ऐसा मानना ठीक है? ये जानने के लिए Tv9 ने देश के जाने माने कैंसर एक्सपर्ट से बातचीत की है.

दिल्ली के धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशयलिटी हॉस्पिटल के आन्कोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. अंशुमान कुमार ने बताया कि ये दवा एक उम्मीद की किरण जरूर है, लेकिन फिलहाल यह कहना ठीक नहीं है कि कैंसर का इलाज़ मिल गया है. इस दवा को 18 मरीजों पर ही इस्तेमाल किया गया है और अभी इसके असर को अगले कुछ सालों तक देखने की जरूरत है. डॉ. के मुताबिक, रिसर्च में शामिल किए गए सभी मरीजों का अगले पांच साल तक फॉलोअप करना होगा. अगर इस अवधी में उनमें कैंसर नहीं मिलता है. तभी कहा जा सकता है कि इस सिंगल डर्ग से कैंसर का इलाज़ हो गया है.

ऐसे में अभी उत्साहित नहीं होना चाहिए. यह भी नहीं सोचें कि कैंसर का इलाज़ मिल गया है.अगर सिर्फ इतनी छोटी स्टडी के आधार पर ही इस दवा को कैंसर का इलाज़ मान लिया गया और लोगों ने इसे लगवाया, तो ऐसा भी हो सकता है कि सभी मरीजो पर ये प्रभावी न हो. इसलिए अगले कुछ सालों तक इंतजार करना होगा.

सिर्फ एक प्रकार के कैंसर पर ही हुई है स्टडी

डॉ. अंशुमान ने कहा कि ये स्टडी केवल रेक्टल कैंसर पर ही हुई है. जबकि दुनियाभर में ब्रेस्ट कैंसर, सर्वाइकल, ब्लड और पेट के कैंसर के करोड़ों मामले आते हैं.

डॉ. के मुताबिक, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स से ऐसा संदेश जा रहा है कि कैंसर का इलाज़ मिल गया है, लेकिन यह ठीक नहीं है. क्योंकि इससे लोगों में इस दवा को लेकर उत्साह पैदा हो जाएगा और वह इसको लगवाने की कोशिश करेंगे, हालांकि अभी कोई भी अस्पताल इस दवा को अभी नहीं लगा सकता है. इसको एक्सपर्ट कमेटी से अनुमति नहीं मिली है. जब तक इसका सभी लेवल का ट्रायल पूरा नहीं हो जाता है और ज्यादा लोगों को ट्रायल में शामिल नहीं किया जाता. तब तक इस दवा को क्लीयरेंस नहीं मिल सकता और ये बाजार में उपलब्ध भी नहीं होगी.

डॉ. के मुताबिक, इससे पहले भी इसी प्रकार के एक डर्ग को लेकर स्टडी आई थी. जिसमें कहा गया था कि दवा कैंसर पर 100 फीसदी कारगर है, लेकिन कुछ समय बाद ही उस दवा का असर नहीं रहा और वह अगले चरण के ट्रायल में कामयाब नहीं हो पाई.

ऐसे काम करती है ये दवा

डॉ. अंशुमान ने बताया कि शरीर का इम्यून सिस्टम नॉर्मल सेल्स और रेक्टल कैंसर की सेल्स में फर्क नहीं कर पाता है. कोरोना की तरह रेक्टल कैंसर की सेल्स भी खुद को छिपा लेती है, जिससे इम्यून सिस्टम उसको पहचान नहीं पाता है और ये बीमारी गंभीर हो जाती है, लेकिन डॉस्टरलिमैब दवा रेक्टल कैंसर को पहचान कर उसे उजागर कर देती है जिससे इम्यून सिस्टम कैंसर को पहचानकर उससे लड़ता है और खत्म कर देता है.

Sort:  

Good job